एक मां, दो जननी, आठ बच्चे
३० दिसम्बर २०११चीन की मीडिया के अनुसार इस महिला ने दो 'सरोगेट मदर' यानी 'किराए की कोख' की मदद ली. इनमें से एक ने चार लड़कों को जन्म दिया और दूसरी ने चार लड़कियों को. हालांकि सरकारी अखबार में कहा गया है की महिला ने दो बच्चों को खुद जन्म दिया और छह अन्य के लिए सेरोगेसी का सहारा लिया. लम्बे समय तक बच्चे न होने के बाद इस महिला ने वैज्ञानिक तरीका अपनाया.
रिपोर्टों के अनुसार इस दंपति ने आईवीएफ पर 10 लाख युआन यानी करीब 85 लाख रुपये का खर्च किया. चीन में इस तरह की तकनीक के इस्तेमाल पर रोक है. जनसंख्या पर काबू के लिए चीन में एक से अधिक बच्चा होने पर भारी जुर्माना चुकाना पड़ता है. लेकिन इस मामले ने चीन के रईस लोगों की आदतों पर बहस छेड़ दी है. जानकारों का कहना है कि अगर आपके पास पैसा है तो आप कानून के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं. कई लोगों के लिए जुर्माने की रकम चुकाना बड़ी बात नहीं है.
आठ बच्चे और 11 आया
चाइनीज सेंट्रल टेलीविजन पर 20 मिनट की रिपोर्ट दिखाई गई. कहानी पर हैरानी जताते हुए एंकर ने कहा, "हे भगवान! परिवार नियोजन के जमाने में, जब अधिकतर लोगों के पास एक ही बच्चा है, एक परिवार में आठ बच्चे... यह सुनने में खबर नहीं, परिकथा लगती है." चीन में इस महिला को 'ऑक्टोमॉम' का नाम दिया गया है. कुछ साल पहले अमेरिका में एक महिला ने एक साथ आठ बच्चों को जन्म दिया. तभी से इस शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ.
चीनी महिला गुआंगडांग जिले की है. रिपोर्टों के अनुसार आठों बच्चों का जन्म इसी साल सितंबर और अक्टूबर के बीच हुआ. उनकी देख भाल के लिए 11 आया रखी गई. चीन के एक ब्लॉग पर इन बच्चों और उनकी आया की तस्वीरें छपी हैं. तस्वीरों को देख कर लगता है जैसे किसी 'बेबी प्रॉडक्ट' का विज्ञापन हो.
शुरुआत में इस बात को केवल अफवाह बताया जा रहा था. लेकिन गुआंगडांग जिले में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है और कहा है की इस सिलसिले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं, "आज कल लोगों की इस नीति में काफी रुचि देखी जा रही है. खास तौर से कई लोगों का मानना है की इस नीति को बहुत पहले ही खत्म कर देना चाहिए था. या इसमें बदलाव लाने चाहिए थे."
गैरकानूनी बच्चे
2001 में चीन में 'सरोगेसी' पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि कानूनी रूप से इस पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन इंटरनेट पर कई ऐसी वेबसाइट हैं जो 'किराए की कोख' पाने में मदद करती हैं. ऐसे ही एक कंपनी 'डेयुनगुके सरोगेसी' के लियू जियालेई का कहना है कि पिछले सात साल में उनके पास इतने मामले कभी नहीं आए जितने इस साल. वह एक साल में सरोगेसी के 600 मामले देख चुके हैं. लियू जिआलेई बताते हैं कि उनकी कंपनी चीन में जरूर है, लेकिन कानूनी कारणों से वह लोगों को प्रक्रिया पूरी करने के लिए जापान या दक्षिण एशिया के देशों में भेजते हैं, जहां इस पर कोई मनाही नहीं है.
हालांकि सरोगेसी का रास्ता अधिकतर वे महिलाएं चुनती हैं जो मां नहीं बन पातीं. पर साथ ही चीन में ऐसा भी माना जाता है कि सरोगेसी रईसों का शौक है. जो महिलाएं बच्चे पैदा कर अपनी फिगर खराब नहीं करना चाहतीं वे इस काम के लिए किसी की कोख किराए पर ले लेती हैं. जानकार यह भी मानते हैं की यदि देश में इस पर से रोक हट जाए तो गरीब लोग इसे आमदनी का जरिया भी बना सकते हैं. भारत में भी इस तरह के मामले देखे गए हैं. इंटरनेट पर आसानी से ऐसी महिलाओं को खोजा जा सकता है जो पैसों के बदले अपनी कोख किराए पर देने को तैयार हों. रेंटएवूम्ब डॉट कॉम विदेशियों को इस तरफ आकर्षित करती है. वेबसाइट पर इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कंपनी किस तरह से 'सरोगेट मदर' ढूंढेगी और भारत आने पर किन कानूनी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
रिपोर्ट: एपी/ ईशा भाटिया
संपादन: ए जमाल