ऑनर किलिंग पर बरसा सुप्रीम कोर्ट
२० अप्रैल २०११मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो अधिकारी ऑनर किलिंग रोकने में नाकाम रहेंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी. भारत में हाल के सालों में ऑनर किलिंग के कई हादसे हो चुके हैं, जब नौजवान जोड़ों को उनके घरवालों ने तथाकथित इज्जत के नाम पर कत्ल कर दिया. इनमें से कुछ ने दूसरी जाति में शादी की थी, जबकि कुछ लोग अपनी ही जाति में समान गोत्र वाले लड़के या लड़की से शादी करने के कारण परिवार वालों के गुस्से का शिकार हुए. कई बार तो कत्ल के आदेश खाप पंचायतों की तरफ से दिए गए.
खाप पंचायतों पर नजर
कोर्ट का गुस्सा खाप पंचायतों पर भी निकला. कोर्ट ने उन्हें कंगारू कोर्ट करार देते हुए कहा कि उन्होंने ऑनर किलिंग को बढ़ावा दिया है. जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा ने अपने फैसले में कहा, "इज्जत के नाम पर कत्ल या अन्य यातनाओं में कोई इज्जत नहीं है. यह और कुछ नहीं बल्कि निर्दयी और शर्मनाक कत्ल है."
अदालत ने कहा, "हमने खाप पंचायतों के बारे में सुना है, जो अक्सर ऑनर किलिंग या अन्य यातनाओं को संस्थागत तरीके से बढ़ावा देती हैं. अलग अलग जातियों और धर्मों के लड़के लड़कियां जो शादी करना चाहते हैं उन्हें प्रताड़ित किया जाता है."
हर साल 900 कत्ल
कोर्ट ने कहा कि खाप पंचायतें लोगों की निजी जिंदगी में दखल देती हैं और हमारी राय में यह पूरी तरह से गैरकानूनी है, जिसे रोका जाना चाहिए.
ऑनर किलिंग के आधिकारिक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन एक रिसर्च से पता चला है कि हर साल हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कम से कम 900 कत्ल होते हैं. इनमें से ज्यादातर के बारे में तो शिकायत ही दर्ज नहीं होती. पुलिस और स्थानीय नेता भी इन्हें नजरअंदाज करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर ऑनर किलिंग पर कार्रवाई नहीं होती है तो स्थानीय अधिकारियों और पुलिस प्रमुखों को सजा दी जाएगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया