ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ से तबाही, दस की मौत
३ जनवरी २०११उत्तरी शहर रॉकहैम्पटन में सेना राहत और बचाव सामग्री लेकर तीन दिन बाद पहुंची है. बाढ़ की वजह से यह इलाका सड़क और रेलमार्ग से पूरी तरह कट चुका है. अब तक दस लोगों की मौत हो गई है और लाखों अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. बाढ़ से प्रभावित लोगों के पास खाने पीने का सामान जल्द ही खत्म हो सकता है. लिहाजा सेना स्टीमर के जरिए गांवों में जा रही है.
क्वींसलैंड प्रांत की मुख्यमंत्री एना ब्लिघ ने हवाई दौरा करने के बाद कहा, ''ऐसा लगता है कि जैसे रॉकहैम्पटन की जगह कोई सागर है. अपने छोटे बड़े शहरों को ऐसे तबाह होते देखना पीड़ादायी है. रॉकहैम्पटन में तो हालात और बदतर होने हैं.'' एयरपोर्ट भी कई फुट पानी में डूबा हुआ है.
मौसम विभाग का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में बुधवार को फिर बहुत ज्यादा पानी चढ़ेगा. रॉकहैम्पटन के मेयर ब्रैड कार्टर के मुताबिक बाढ़ का सबसे खराब दौर अभी आना बाकी है. फिट्जरॉय नदी में भारी बाढ़ आनी है. आशंका जताई जा रही है कि बुधवार की बाढ़ का पानी नीचे जाने में काफी वक्त लगेगा.
अधिकारियों के मुताबिक बाढ़ की वजह से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. तीन लोग गाड़ियों समेत बह गए. दो लोग बाढ़ से निकलने के लिए तैरते हुए बह गए. एक महिला कार की छत पर बैठी मदद का इंतजार करती रही लेकिन बाढ़ उसे बहा ले गई.
जो लोग बच गए हैं उनके लिए भी कष्ट कम नहीं हैं. क्वींसलैंड के दक्षिण इलाकों में अब बाढ़ का पानी कुछ उतरा है. वहां लोग सुरक्षित सेंटरों से अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं और फिर रो रहे हैं. एक ऐसी ही महिला ने कहा, ''मेहनत करके अपने हाथों से बनाए गए घर में दरारें और कीचड़ देखना, इससे बुरा क्या हो सकता है. हमारी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि शुरुआत कहां से की जाएं.''
ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर किसान और पशुपालक रहते हैं. ऐसे लोगों की फसलें डूब चुकी हैं. पशुओं की खोज खबर लेने की फुर्सत अभी किसी को नहीं है. जान बचाने के लिए सांप और दूसरे तरह के कीड़े मकोड़े भी घरों में घुस रहे हैं.
इस बीच ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने देशवासियों से बाढ़ पीड़ितों की मदद करने की अपील की है. गिलार्ड ने कहा, ''संकट की इस घड़ी में हमें बाढ़ पीड़ितों की मदद करनी चाहिए. बाढ़ का पानी जैसे ही कम होगा हम तुरंत राज्य सरकार के साथ मिलकर जरूरी सेवाओं का तंत्र खड़ा करेंगे.''
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा