ओसामा का आतंक और परमाणु खतरा
५ मई २०११या फिर राजधानी इस्लामाबाद के पास किलेबंद इमारत में रहते हुए उसने अपने समर्थकों को तो कहीं पाकिस्तान के परमाणु हथियार तक नहीं पहुंचा दिया. अमेरिका में इस सवाल को लेकर बड़ी बहस छिड़ी है और थिंक टैंकों की माथापच्ची भी हो रही है.
ओसामा बिन लादेन जिस तरह से पाकिस्तान में इतने दिनों तक रहने में कामयाब रहा, उसे लेकर पाकिस्तान की सुरक्षा सलाहियत और उसके परमाणु हथियारों पर चर्चा तेज हो गई है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा जानकार और सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एंथोनी कॉर्डेसमन का कहना है कि ओसामा बिन लादेन का इतने दिनों तक पाकिस्तान में रहने भर से यह नहीं कहा जा सकता है कि वह परमाणु जखीरे तक पहुंच गया होगा. क्योंकि लोगों पर नजर रखने और परमाणु हथियारों पर नजर रखने के तरीके अलग अलग होते हैं.
आसान नहीं तकनीक समझना
जानकारों का कहना है कि परमाणु कमान को समझने और इसे चलाने के लिए जिस तकनीक की जरूरत होती है, उसे जानने में बरसों लगते हैं. अल कायदा बार बार कहता रहा है कि वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसके खुद के वैज्ञानिक भी लग जाएं, तो भी यह काम आसान नहीं. इसलिए यह बात आसान नहीं लगती कि अल कायदा या उसके समर्थक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर पाएंगे.
हालांकि पाकिस्तान में अफरा तफरी का फायदा उठा कर चरमपंथी इतने रेडियोएक्टिव मसलों का जुगाड़ कर सकते हैं, जिससे एक खतरनाक बम बन सके. लेकिन उससे परमाणु हथियारों जैसा खतरा नहीं है. आम तौर पर हमेशा राजनीतिक या आर्थिक संकट में घिरा दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान बार बार कहता आया है कि उसके परमाणु हथियार सुरक्षित हैं.
पाकिस्तान को पता
अल कायदा प्रमुख बिन लादेन के पाकिस्तान में होने की वजह से उस पर शक गहराता जा रहा है और ऐसी भी बातें चल रही हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कुछ तत्वों को जरूर बिन लादेन के बारे में पता होगा.
वॉशिंगटन में परमाणु वैज्ञानिकों के संगठन न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजेक्ट के निदेशक हंस क्रिस्टेनसेन का कहना है, "अगर खुफिया तंत्र के कुछ लोगों को पता था कि वह वहां है और पाकिस्तान सरकार को इसकी जानकारी नहीं थी तो फिर बहुत बड़ा सवाल उठता है कि वहां क्या चल रहा है. क्या उनके सिस्टम के अंदर ही ऐसा चल रहा है, जो उनकी नीतियों के खिलाफ हो."
पाकिस्तान में परमाणु प्लांटों की सुरक्षा का जिम्मा आम तौर पर खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों में होता है.
दागदार इतिहास
अमेरिका इस बात को लेकर लगातार बेचैन है कि क्या सचमुच पाकिस्तान प्रशासन को इस बात की जानकारी थी कि ओसामा बिन लादेन उनके घर में छिपा है. अमेरिका हर साल अरबों डॉलर की मदद पाकिस्तान को देता है और उसका परेशान होना वाजिब है.
ब्रैडफोर्ड यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान सुरक्षा रिसर्च इकाई के निदेशक प्रोफेसर शॉन ग्रेगरी का कहना है, "पाकिस्तान के परमाणु जखीरे को लेकर अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है. आतंकवादी लगातार परमाणु हथियारों की तकनीक और हथियारों को हथियाने की कोशिश में लगे रहते हैं."
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर शुरू से ही शक रहा है क्योंकि वहां के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक ने इसकी तकनीक ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को चोरी छिपे पहुंचाई है. पिछले साल विकीलीक्स के खुलासों में भी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंता जताई जा चुकी है. पाकिस्तान अब अपने दम पर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है और समझा जाता है कि उसके पास करीब 100 परमाणु हथियार हैं.
बड़ी परमाणु शक्ति
बेल्फार सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के ओली हाइनोनेन ने कयास लगाया है कि इस दशक के अंत तक पाकिस्तान दुनिया की चौथी सबसे बड़ी परमाणु ताकत बन जाएगा. सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ही उससे आगे होंगे. हाइनोनेन का कहना है कि इस बात की और सुनिश्चितता चाहिए कि परमाणु हथियारों का नियंत्रण सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान सरकार के हाथों में है.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः ए कुमार