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और पुरुषों से भेदभाव हो तो...

९ अगस्त २०१२

खेलों में महिलाओं के साथ भेदभाव की तो खूब चर्चा होती है लेकिन ऐसे खेल भी हैं जहां पुरुषों के साथ भेदभाव होता है. ओलंपिक में पुरुषों के सारे खेल महिलाओं के लिए शुरू किए गए, पर क्या महिलाओं के सारे खेल पुरुषों के लिए हैं.

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तस्वीर: Reuters

यह लगातार आठवीं बार है कि ओलंपिक में सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग की प्रतियोगिता हुई. लेकिन यह खेल सिर्फ महिलाएं ही खेल सकती हैं. लोगों में इस बात को लेकर मिले जुले ख्यालात हैं कि क्या इन्हें पुरुषों के लिए भी शुरू कर दिया जाना चाहिए. जर्मनी के निकलास श्टोएपेल का कहना है, "यह खेलों को बदल देगा क्योंकि मर्दों में औरतों के मुकाबले ज्यादा बल होता है. लेकिन उनकी फूर्ति कम होती है." स्टोएपेल उन गिने चुने पुरुष तैराकों में हैं, जो सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग करते हैं. उन्होंने कुछ महीने पहले ही इस बात की शिकायत की थी कि मर्दों के लिए यह खेल क्यों नहीं है.

इस मुकाबले में रजत पदक जीतने वाली स्पेन की आंद्रिया फोएंटेस का कहना है, "मैं तो समझती हूं कि भेदभाव हो रहा है. सच में. मैं सभी मर्दों से कहती हूं कि उन्हें इसे आगे बढ़ाना चाहिए. अगर ज्यादा प्रतियोगी होंगे तो मुकाबला भी कड़ा होगा."

1984 के लॉस एंजेलेस ओलंपिक में पहली बार सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग को शामिल किया गया और उसके बाद से हर बार इसे ओलंपिक में शामिल किया जाता रहा है लेकिन सिर्फ महिलाओं के लिए. मेक्सिको की इसाबेल डेलगाडो का कहना है, "मैं हमेशा से इसे महिलाओं से जोड़ कर देखती हूं. सच तो यह है कि मैं यह सोच भी नहीं सकती कि पुरुष ऐसा कर सकते हैं. हालांकि यह पानी में बैले जैसा है, जब पुरुष डांसर बैले कर सकते हैं तो फिर सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग क्यों नहीं."

डेलगाडो की पार्टनर नूरिया डायसडाडो का कहना है कि पुरुषों को इसमें शामिल करना अच्छा होगा, "मुझे लगता है कि कई लोग इसे स्वीकार नहीं करना चाहते. लेकिन मैंने पुरुषों को तैरते हुए देखा है और लड़कियों की तरह उन्हें भी इसमें हिस्सा लेना चाहिए."

लंदन ओलंपिक कई मायनों में यादगार होगा. सऊदी अरब, कतर और ब्रुनेई की लड़कियों ने पहली बार ओलंपिक मुकाबले में हिस्सा लिया. इसी साल महिलाओं का बॉक्सिंग मुकाबला भी शुरू हुआ. सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग फिर भी एक ऐसा खेल रह गया, जिसमें महिला पुरुष दोनों हिस्सा नहीं ले सकते हैं.

ब्रिटेन के कप्तान स्टीफन एड्सहेड का कहना है, "मुझे यह सोच कर हंसी आती है कि ओलंपिक को बराबरी का खेल बोला जाता है लेकिन इसके बाद भी हमें इसमें हिस्सा लेना का मौका नहीं दिया जाता." एड्सहेड ने ओलंपिक समिति और अंतरराष्ट्रीय तैराकी संघ को चिट्ठी लिख कर अपील की थी कि पुरुषों को इसमें हिस्सा लेने का मौका दिया जाए.

पर कुछ महिला तैराक भी नहीं चाहतीं कि पुरुष उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर इसमें हिस्सा लें. अर्जेंटीना की सोफिया सांचेज को कहना है, "पुरुषों को यहां आने की जरूरत नहीं है. यह महिलाओं की चीज है और अगर कोई पुरुष पानी में उतर कर अपने पैरों को 180 डिग्री पर खोलेगा तो देखने में अच्छा नहीं लगेगा"

तो सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग के मुकाबले बाकी हैं और अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या अगली बार का ओलंपिक ऐसा हो पाएगा, जिसमें सभी खेलों में पुरुष और महिलाएं दोनों हिस्सा ले पाएं.

एजेए/एमजी (डीपीए)

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