कट्टरपंथियों ने निकाली जिहादी पत्रिका
८ मई २०१३अंग्रेजी भाषा की ऑनलाइन पत्रिका अजान का पहला अंक रविवार 5 मई को प्रकाशित हुआ. साइट इंटेलिजेंस मोनिटरिंग ग्रुप ने इस पत्रिका की तुलना अरब अल कायदा द्वारा प्रकाशित इंस्पायर पत्रिका से की है. अमेरिकी ड्रोन हमलों के प्रभावी होने की पुष्टि सी करते हुए पत्रिका का कहना है कि वह पाकिस्तान के वजीरिस्तान इलाके के कबायली इलाकों में युद्ध को प्रभावित कर रहा है. यह इलाका पाकिस्तान के तहरीक ए तालिबान और अफगानिस्तान के तालिबान लड़ाकों के अलावा अल कायदा का भी गढ़ है.
ड्रोन पर विशेष
80 पेज की पत्रिका का एक हिस्सा ड्रोन को समर्पित है. इसमें कहा गया है कि ये मुस्लिम समुदाय या उम्माह के लिए चुनौती हैं. "इतनी सारी मुस्लिम संपत्ति की मौत के साथ यह फौरी महत्व के मुद्दों में एक है, जिसके लिए मुस्लिम समुदाय को एक होकर जवाब ढूंढना होगा." पत्रिका की शुरुआत अफगान तालिबान नेता मुल्लाह ओमर और अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन के भाषणों के उद्धरण से की गई है. "ड्रोन तकनीक को हराने का कोई मत, विचार, इरादा और व्यावहारिक अमल हमें जल्द से जल्द बताया जाना चाहिए क्योंकि इससे क्रूसेडर जायनवादी दुश्मन के खिलाफ संघर्ष में उम्माह को बड़ी मदद मिलेगी."
पश्चिमी देशों के अधिकारियों का कहना है कि अफगानिस्तान की सीमा पर छुपे अला कायदा के लड़ाकों की गतिविधियों को तहस नहस करने में ड्रोन हमले बहुत प्रभावी रहे हैं. इसके विपरीत ड्रोन हमलों के आलोचक इस कार्यक्रम की गोपनीयता की आलोचना करते हैं, उसकी वैधता पर सवाल उठाते हैं और असैनिक नागरिकों की मौत का मुद्दा उठाते हैं.
पाकिस्तान की नाराजगी
पाकिस्तान अमेरिका के ड्रोन हमलों को भले ही बर्दाश्त करता रहा हो, लेकिन समय समय पर उसकी निंदा भी करता रहा है. 2011 में एक हमले में अपने सैनिकों के मारे जाने के बाद उसने सीआईए से पश्चिमी पाकिस्तान के शम्सी हवाई अड्डे को छोड़ देने को कहा था. इस हवाई अड्डे का इस्तेमाल अमेरिका ड्रोन हमलों के लिए करता था. कई बार पाकिस्तान ने हमले के ठिकानों की शिनाख्त में अमेरिका के साथ सहयोग करने से मना कर दिया है.
अजान पत्रिका ने अमेरिका के साथ सहयोग जारी रखने के लिए पाकिस्तानी सेना की आलोचना की है और यह भी कहा है कि उसने शम्सी की जगह पर एक नए गुप्त अड्डे की स्थापना की है. पाकिस्तान में ड्रोन के लिए व्यापक विरोध को देखते हुए इसे छिपाना बहुत ही मुश्किल होगा. अजान सीरिया से माली तक उन इलाकों को कवर करता है जहां अल कायदा सक्रिय है, लेकिन वह अफगानिस्तान को ग्लोबल जिहाद का गढ़ बताता है और उसका फोकस पाकिस्तान पर है.
उदारवाद पर हमला
पत्रिका के एक हिस्से का इस्तेमाल मलाला यूसुफजई की आलोचना के लिए किया गया है. पाकिस्तान की इस बच्ची को लड़कियों के लिए शिक्षा का अधिकार मानने के लिए पाकिस्तान तालिबान ने गोली मार दी थी और वह बाल बाल बच गई. एक दूसरे हिस्से में पाकिस्तान की सेना की कबायली इलाके में लड़ाई के लिए अपने परंपरागत दुश्मन भारत को नजरअंदाज करने के लिए आलोचना की गई है. पाकिस्तानी मुद्दों की चर्चा करते हुए युना सैनिकों से सेना से किनारा करने की अपील की गई है.
सेना पर आरोप लगाया गया है कि वह पाकिस्तान पर हमला करने वाले कट्टरपंथियों से लड़ती है लेकिन अफगानिस्तान में सक्रिय कट्टरपंथियों को बर्दाश्त करती है. अजान का कहना है कि वह पाकिस्तान में सेना और पुलिस से लेकर खुफिया एजेंसियों तक पूरे राजकीय तंत्र को दुश्मन मानती है. 11 मई को होने वाले चुनाव से पहले पत्रिका ने लोकतंत्र पर भी हमले किए हैं और पिछले दिनों में पाकिस्तान तालिबान द्वारा की गई टिप्पणियों को दोहराया है. उन्होंने उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों पर कई हमले किए हैं.
एमजे/एएम (रॉयटर्स)