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कमजोर हैं भ्रष्टाचार रोकने वाले संस्थान: ट्रांसपेरेंसी

६ जून २०१२

भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 25 यूरोपीय देशों की जांच के बाद एक नई ईमानदारी सूची तैयार की है. इसमें जर्मनी का प्रदर्शन अच्छा है लेकिन अभी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.

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तस्वीर: fovito/Fotolia

जर्मनी के पूर्व चांसलर गैरहार्ड श्रोएडर ने जब 2005 में चुनाव हारने के कुछ ही महीनों बाद तेल पाइपलाइन बनाने वाली कंपनी नॉर्थ स्ट्रीम में बोर्ड चेयरमैन बन गए तो उन्होंने किसी कानून को नहीं तोड़ा. कानूनी तौर पर उन्हें भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता, लेकिन उनके इस फैसले की आलोचना जरूर हुई. चांसलर रहते हुए उन्होंने और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इस परियोजना को आगे बढ़ाया था. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार व्यक्तिगत लाभ के लिए सत्ता का इस्तेमाल भ्रष्टाचार है. उसका कहना है कि उद्यमों और सरकार के रिश्ते इतने करीबी हो गए हैं कि वे भ्रष्टाचार को संभव बनाते हैं और आर्थिक स्थिरता को कमजोर करते हैं. 1995 से यह संगठन खुले और संदिग्ध भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है और हर साल एक भ्रष्टाचार इंडेक्स जारी करता है. एक तरह से राजनीति और सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी का पैमाना, जिसे देसी और विदेशी कारोबारियों से बातचीत के आधार पर तैयार किया जाता है. 183 देशों की इस सूची में जर्मनी 14 वें स्थान पर है.

Symbolbild Korruption
तस्वीर: Fotolia/S-Christina

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मैनेजिंग डाइरेक्टर कोबुस डे स्वार्ट ने ताजा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "पूरे यूरोप में लोकतंत्र की व्याख्या करने वाले भ्रष्टाचार रोकने में मुल्क की मदद करने वाले संस्थान अपेक्षा से अधिक कमजोर हैं." भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का कहना है कि डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. इसका मुकाबला करने के लिए वहां मजबूत निगरानी संस्था, ऑडिटर, न्याय पद्धति और कानून का पालन करने वाली एजेंसियां हैं. इसके विपरीत ग्रीस, इटली, पुर्तगाल और स्पेन में सरकारी क्षेत्र में जवाबदेही में भारी कमियां और अकुशलता, गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की गहरी समस्या है.

अंतरराष्ट्रीय संधि

बुधवार को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी यूरोपीय रिपोर्ट जारी की है. यह पहला मौका है जब यूरोप के 25 देशों में व्यापक सर्वे किया गया है. भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का कहना है कि उसका इरादा यूरोप में पारदर्शिता के प्रयासों की ताकत और कमजोरियों का पता करना था. रिपोर्ट में जर्मनी को नागरिकों और प्रशान के रिश्तों और पारदर्शिता के लिए अच्छे से बहुत अच्छे का स्थान मिला है, जिसे कारोबारी दुनिया ने खुलापन और निष्पक्षता बताया है.

लेकिन अच्छा अंक पाने के बावजूद ट्रांसपेरेंसी के अनुसार कई इलाकों में सुधार की गुंजाइश है. सांसदों का भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी गैरकानूनी है लेकिन जर्मनी में सिर्फ वोटों की खरीद फरोख्त ही दंडणीय अपराध है. संयुक्त राष्ट्र ने 2005 की अपनी अंतरराष्ट्रीय संधि में रिश्वतखोरी से निबटने के कदमों की मांग की है. इस संधि की 160 देशों ने पुष्टि कर दी है, लेकिन जर्मनी ने नहीं की है. इस संधि में तीसरी पार्टी को भी फायदे की पेशकश करने, वादा करने या फायदा पहुंचाने पर रोक है.

Deutschland Geschäftsführer von Transparency International Christian Humborg
तस्वीर: picture-alliance/dpa

विवादास्पद चंदे

इस संधि को लागू करने से प्रभावित होने वाले कानूनों को बदलने के लिए जर्मनी की विपक्षी एसपीडी पार्टी ने मसौदा तैयार कर रखा है. लेकिन चांसलर अंगेला मैर्केल का सत्ताधारी मोर्चा कानून में संशोधन करने से हिचकिचा रहा है. ट्रांसपेरेंसी के जर्मन ब्रांच के प्रमुख क्रिस्टियान हुमबोर्ग ने सरकार के रवैये को स्कैंडल बताते हुए उसे अस्वीकार्य कहा. उनका कहना है कि जर्मनी खुद को बेतुकी स्थिति में ला रहा है, क्योंकि जर्मन नेता दूसरे देशों से भ्रष्टाचार रोकने की मांग करते हैं , लेकिन खुद अपने यहां संयुक्त राष्ट्र समझौते को लागू नहीं कर रहे हैं. हुमबोर्ग ने उम्मीद जताई है कि जर्मनी जल्द ही समझौते की पुष्टि कर देगा.

ट्रांसपेरेंसी इस बात की भी आलोचना कर रहा है कि जर्मनी में 10,000 यूरो से ज्यादा चंदे की ही रिपोर्ट करनी पड़ती है. हुमबोर्ग के अनुसार यह राशि बहुत ज्यादा है और यह अहसास पैदा करता है कि राजनीतिज्ञ अतिरिक्त रोकड़ा लेने के लिए तैयार हैं. वे अधिक पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय लॉबी इंडेक्स बनाने की मांग कर रहे हैं, जिसमें कंपनियों के अलावा सांसदों, मंत्रियों और सरकारी दफ्तरों के साथ पेशेवर संपर्क रखने वाले वकीलों के नाम भी शामिल किए जाने चाहिए. राजधानी बर्लिन में कानून बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए हजारों लॉबी ग्रुप सक्रिय हैं. लॉबी करना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन ट्रांसपेरेंसी की मांग है कि लोगों को पता होना चाहिए कि कानून बनाने में किन लोगों ने भूमिका निभाई है.

रिपोर्ट: मार्सेल फुइर्श्टेनाऊ/मझा

संपादन: आभा मोंढे

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