कराची बम हमले में 25 की मौत
२८ दिसम्बर २००९अभी तक प्राप्त समाचारों के अनुसार कराची में आशूरा के जुलूस पर बम हमले में मरने वालों की संख्या पचीस तक पहुंच चुकी है. दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं.
इससे पहले रविवार को पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ्फराबाद में हुए आत्मघाती हमले ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया था. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इस तरह के आतंकवादी हमलों की यह पहली घटना है.
सूत्रों के अनुसार रविवार को मुज़फ्फ़राबाद में हुए हमले में मृतकों और घायलों में सेना के जवान भी शामिल हैं. सोमवार को पुलिस के प्रवक्ता यासीन बेग ने सूचित किया कि मरने वालों में तीन पुलिसकर्मी भी शामिल थे. शिया मुसलमानों के पवित्र पर्व अशूरा की शुरुआत से पहले शिया मस्जिद में हुए इस आतंकवादी हमले से चारों तरफ डर का माहौल है. अभी तक किसी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. सोमवार को जहां लाखों पाकिस्तानी शियाओं ने अशूरा मनाया, वहीं कई हज़ार सैनिक किसी भी शिया-सुन्नी हिंसा से निपटने के लिए तैनात रहे. पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें अशूरा के मौके पर निकलने वाले शिया समुदाय के जुलूसों की सुरक्षा के लिए तैनात किया है. इस मौके पर शिया और सुन्नी समुदायों के बीच अकसर झड़पें होती रही हैं. शिया जहां अपने धार्मिक उत्साह में अपने शरीर को लोहे की जंज़ीरों से ज़ख्मी करते हैं वहीं सुन्नी समुदाय इस सामाजिक प्रदर्शन का विरोध करते हैं.
लगातार दो दिनों में हुए दो हमलों के बाद भी पाकिस्तानी सेना का कहना है कि शिया मुसलमानों और उनके जुलूसों की सुरक्षा के लिए किए गए इंतज़ाम पुख़्ता हैं. कराची में पचास हज़ार, मुज़फ्फराबाद में पांच हज़ार और क्वेटा में कई हज़ार शिया मुसलमानों ने सन 680 में सुन्नी ख़लीफ़ा याज़िद की सेनाओं के हाथों मारे गए इमाम हुसैन की मौत की याद में जुलूस निकाले.
पाकिस्तान की सुन्नी बहुल आबादी में 20 प्रतिशत, यानि करीब एक करोड़ 67 लाख लोग शिया संप्रदाय के हैं. 2004 में क्वेटा में अशूरा के दौरान हुए हमले में कई दर्जन जानें गयी थीं. वरिष्ठ पुलिसकर्मी शाहिद निज़ाम दुर्रानी के अमुसार देशभर में करीब सात हज़ार पुलिसकर्मी और तीन हज़ार अर्धसैनिक बल तैनात किए जा चुके हैं. दुर्रानी ने ये भी बताया कि वो सभी रास्ते, जहां से जुलूस निकलेंगें, पहले से ही बंद कर दिये गये है. इतना ही नहीं, हेलीकॉप्टर इन जगहों की निरंतर चौकसी कर रहे हैं.
पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के स्तर में पिछले ढाई सालों में भारी गिरावट देखी गयी है. जुलाई 2007 के बाद से आतंकवादी ढाई हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की जान ले चुके हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/तनुश्री सचदेव
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य