कराची में फिर हिंसा भड़की, 22 मौतें
१८ अगस्त २०११पुलिस ने बताया कि अज्ञात बंदूकधारियों ने बुधवार को एक होटल में पूर्व सांसद अहमद करीमदाद उर्फ वजा करीमदाद की हत्या कर दी. वह इस होटल में इफ्तार के लिए गए थे. अभी तक किसी ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इसे कराची के ल्यारी इलाके में प्रतिद्वंद्वी गुटों की प्रतिद्वंद्विता का नतीजा माना जा रहा है. हिंसा के लिए बदनाम इस इलाके में हाल के सालों में बहुत से लोगों की जानें गई हैं.
निजी राहत सेवा एधी फाउंडेशन के सूचना अधिकारी अजान शेखानी ने बताया कि उनकी टीम ने 22 शवों और दर्जन भर घायलों को अस्पताल पहुंचाया है. शहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सउद मिर्जा ने बताया कि ताजा हत्याओं के पीछे विभिन्न आपराधिक गुटों का हाथ है. उनके मुताबिक, "इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. शहर में ऐसे आपराधिक गुट हैं जो अपने प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बना रहे हैं. दशहत फैलाने के लिए वे आम लोगों को भी मार रहे हैं."
जलता कराची
कराची की आबादी 1.8 करोड़ है और वहां देश के हर हिस्से के लोग रहते हैं. यह शहर लगातार जातीय गुटों, राजनीतिक पार्टियों और आपराधिक गुटों की हिंसा का शिकार बनता रहा है. अपहरण, जमीन हथियाना और फिरौती वसूल किया जाना शहर के लोगों के लिए आम बातें बन गई हैं.
इससे पहले हुई हिंसा की ज्यादातर हिंसक वारदातों में उर्दू भाषी मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पश्तो भाषी आवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के पठान समर्थकों के बीच टकराव होता रहा है. इन दोनों पार्टियों का ही कराची में दबदबा है. हाल के महीनों में इनकी तनातनी में हजारों लोगों की जानें चली गई हैं. पाकिस्तान के डॉन अखबार का कहना है कि जुलाई में कराची की हिंसा में 318 लोग मारे गए. इस हिंसा के चलते शहर की आर्थिक गतिविधियों को भी खमियाजा उठाना पड़ता है. बंदरगाह शहर कराची को पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहा जाता है.
कब रुकेगी हिंसा
पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक का कहना है कि कराची में शांति बहाल की जाएगी और उग्रवादी और आपराधिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. पिछले महीने हालात को बेहतर बनाने के लिए शहर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के हजारों अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया. पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन का कहना है कि इस साल के शुरुआती सात महीनों में कराची में जातीय और राजनीतिक हिंसा में 800 लोग मारे गए हैं.
कराची में अशांति सरकार के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में इस शहर की हिस्सेदारी 20 फीसदी है. इसके अलावा अफगानिस्तान में लड़ रहे विदेशी सैनिकों की जरूरत का सारा सामान भी इसी शहर से होकर जाता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम