करीवुर्स्ट: ज़ायका जर्मनी का
१८ अगस्त २००९करीवुर्स्ट नामके इस फास्ट फूड में हल्दी, जीरे और धनिए वाला मसाला मिलाया जाता है. फिर इन्हें भारतीय स्टाइल में पके हुए मांस के टुकड़ों में मिलाया जाता है और सामने लगी लोगों की कतार बेसब्री से अपनी बारी का इंतज़ार करती हैं.
दरअसल मसालों को मिलाकर इंडियन स्टाइल में तैयार किया जाने वाला करीफुर्स्ट भारतीय खाना कतई नहीं है, हां लेकिन इसका ज़ायका देसी ही लगता है. करी का मतलब है मसाला और वुर्स्ट का अर्थ है सूअर का मांस. इसे बनाने के लिए सबसे पहले सॉसेज़ को ग्रिल किया जाता है फिर तलकर उनके छोटे छोटे टुकड़े किए जाते हैं. फिर टमाटर सॉस और मसाला की मिलाया जाता है.
जर्मनी के हर शहर के बाज़ारों में मिलने वाला ये करीवुर्स्ट ज़्यादा महंगा भी नहीं होता. जहां फास्ट फूड के नाम पर दूसरे चीजें जैसें बर्गर और डोनर दो यूरो से ऊपर ही मिलते हैं, ज़ायकेदार करीवुर्स्ट एक से दो यूरो के बीच में जगह जगह मिल जाता है.
जर्मनी के कई पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा शीर्ष नेता भी खुलेआम इसके प्रति अपनी दिवानगी ज़ाहिए कर चुके हैं. दरअसल ये करीवुर्स्ट का ही कमाल है कि 60 साल से उसके जर्मनी को अपने ज़ायके में बांधा हुआ है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन की पचास लाख की आबादी तो बीते साल सात करोड़ करीवुर्स्ट खा गई.
1949 में पहली बार बर्लिन में करीवुर्स्ट बनाने वाली हैर्टा होएवर नामकी महिला को जर्मनी में कई लोग नेशनल हिरोइन तक कह चुके हैं. करीवुर्स्ट की बढ़ती दिवानगी के चलते बर्लिन में करीवुर्स्ट म्यूज़ियम तक खुल गया है. इस म्यूज़ियम को बनाने में 71 लाख डॉलर खर्च करने वाले मार्टिन लोएवर को लगता है कि करीवुर्स्ट का स्वाद और इसकी खुश्वू हर दिन साढ़े तीन लाख लोगों को खींच ही लाएगी.
रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह
संपादन: प्रिया एसेलबॉर्न