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कांगो में भारत से भेजे जाएंगे अतिरिक्त सैनिक

७ नवम्बर २००८

कांगो में भड़की हिंसा को रोकने के लिए भारत 1200 शांति सैनिक वहां भेज रहा है. लेकिन कांगो के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र पर इलज़ाम लगाया है कि उसके शांति सैनिक उनकी जनता की रक्षा के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं.

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कांगो के गोमा शहर में लाखों शरणार्थियों की हालत गंभीर बताई जा रही है.तस्वीर: AP

भारतीय सेना के प्रवक्ता विरेन्द्र सिंह ने घोषणा की है कि भारत कांगो में हिंसा रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के नेतृत्व में, एक महीने के भीतर लगभग 1100 से 1200 अतिरिक्त भेज रहा है. यह सभी सैनिक गुर्खा रेजिमेंट के होंगे. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कांगो में मोनूक के नाम से उसका अब तक का सबसे बड़ा शांति मिशन तैनात किया गया है यानि लगभग 17 हज़ार सैनिक। लेकिन हालत इतनी गंभीर है कि यह पर्याप्त नहीं है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, यूरूगुए और दक्षिण अफ्रीका से तुरंत वहां शांति सैनिक भेजने की अपील की थी जिसके बाद भारतीय सेना की तरफ से इसकी घोषणा की गई है. संयुक्त राष्ट्र सैनिकों का कहना है कि वह विद्रोहियों के साथ इसलिए नहीं लड़ा पा रहे हैं क्योंकि वे हर ओर नागरिकों से घिरे हैं और वे उन पर गोलियां नहीं चला सकते.

मीडिया सूत्रों के अनुसार मध्य अफ्रीकी देश कांगो के पूर्वी हिस्से में स्थिति विद्रोहियों की हिंसा की वजह से शहर किवांजा में 60 से अधिक लोगों का नरसंहार हुआ है. स्थिति पर विचार करने के लिए केन्या की राजधानी नाइरोबी में अफ्रीकी संघ के शांति सम्मेलन की शुरुआत में कांगो के राष्ट्रपति जोसेफ कबीला ने संयुक्त राष्ट्र पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक विद्रोहियों पर नियंत्रम पाने में नाकाम रहे हैं. कबीला के एक प्रवक्ता कुसूरा कासोंगो ने कहा कि "सैनिकों की आंखों के सामने लोगों को मारा गया लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया." साथ ही कबीला ने पड़ोसी देश रुवैंडा पर भी फिर से आरोप लगाया कि वह उनके देश में दखलंदाज़ी कर रहा है. लेकिन रुवैंडा इससे साफ इंकार करता आ रहा है.

उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और यूरोपीय संघ ने अपील की है कि देश में हिंसा तुरंत समाप्त हो और शांति सम्मेलन के दौरान कोई ठोस उपाय ढूंढे जाएं. कांगो में विद्रोही तूत्सी सैनिकों और सरकार के समर्थन वाली मिलीशिया के बीच लड़ाई जारी है. दो दिन तक भीषण लड़ाई के दौरान, जेनरल लौरेंट न्कुंडा के विद्रोहियों ने माई-माई मिलीशिया को पूर्वी शहर किवांजा से खदेड़ कर शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया है. इसके अलावा गुरूवार को विद्रोहियों ने किवू शहर पर भी क़ब्ज़ा कर लिय था. साथ ही शांति सम्मेलन की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा कि वह अपना "विद्रोही आंदोलन" तब तक समाप्त नहीं करेंगे जब तक कांगो के राष्ट्रपति उनसे सीधे बात नहीं करते." लेकिन सरकार उन्हें आतंकवादी मानती है और इसलिए उनके साथ वार्ताएं नहीं करेगी.

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि इस हिंसा में अब तक 20 से अधिक नागरिक मारे गए हैं और उनकी रक्षा कोई नहीं कर रहा है. साथ ही हज़ारों लोग वहां अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं.

इसके अलावा बाल संस्था सेव द चिलरेन का भी आरोप है कि बच्चों का सैनिकों के रूप में इस्तेमाल और बढ़ गया है और रोज़ सैंकड़ों बच्चों का अपहरण हो रहा है.