कुत्ते करें योगा तो बन गया डोगा
६ अगस्त २०११फ्लोरिडा की रहने वालीं योग शिक्षक सूजी टाइटलमान पिछले नौ साल से योग सिखा रही हैं. वह कहती हैं, "मैं इसे पार्टनर योगा कहती हूं. यह मेरा जुनून है."
टाइटलमान को डोगा का आइडिया आया अपने कुत्ते से. जब वह योग करती थीं तो उनके कुत्ते को उनके पास लेटने में बड़ा मजा आता था. इससे उन्हें लगा कि जानवर भी योग का आनंद ले रहे हैं. और यहां से शुरुआत हुई डोगा की. वह कहती हैं, "जब आपको अच्छा लगता है तो उन्हें भी अच्छा लगता है. वे आपकी अच्छाई के दायरे में रहना पसंद करते हैं."
फिर आया बाजार
नतीजा यह निकला कि ट्रेनिंग का एक पूरा मैनुअल बन गया. क्लासें शुरू हो गईं. और जल्दी ही डीवीडी भी बाजार में आ गईं. टाइटलमान बताती हैं कि वह पूरी दुनिया में अब तक 100 से ज्यादा लोगों को डोगा सिखा चुकी हैं. इनमें जापान और चीन के लोग भी शामिल हैं.
योग की कितनी ही किस्में बाजार में बिक रही हैं. डिस्को योगा. बच्चों का योग. बीच योगा. स्पिन योगा. इनमें असली योग कितना बचा है यह न सिखाने वाले जानते हैं न करने वाले. लेकिन टाइटलमान कहती हैं कि वह पारंपरिक योग को पूरी अहमियत देती हैं. वह कहती हैं, "हम तरंगों को महसूस करने के लिए मिलकर मंत्रोच्चार करते हैं. उसके बाद हम योग क्रियाएं शुरू करते हैं." और योग क्रियाओं के दौरान कुत्ता साथ देता है. मसलन कभी योग करने वाला अपने शरीर पर उसका संतुलन बनाता है तो कभी वह उसके ऊपर होता है. टाइटलमान कहती हैं कि अगर योगासन के दौरान कुत्ते को आपने अपनी बाजू पर संतुलित किया है तो इससे संतुलन और शक्ति दोनों बढ़ते हैं.
टाइटलमान कहती हैं कि योग के जितने फायदे इंसान को होते हैं, उतने ही जानवरों को भी होते हैं. वह बताती हैं, "आप अपने शरीर को हिला रहे हैं. तब आप जानवरों को छूते हैं. उन तक अपना प्यार पहुंचाते हैं."
कितना सच
न्यूयॉर्क में जानवरों की डॉक्टर रॉबिन ब्रेनेन ने जब डोगा के बारे में सुना, तो उन्हें इसमें कोई दम नजर नहीं आया. फिर उन्होंने एक क्लास लगाकर देखी. वह कहती हैं, "मैंने क्लास के दौरान जानवरों के व्यवहार में बदलाव को महसूस किया. एक कमरे में आठ नौ या दस कुत्ते. वे सब भौंकते हुए आते हैं. लेकिन क्लास खत्म होते होते वे सब सो जाते हैं. वे शवासन में पहुंच जाते हैं."
ब्रेनेन कहती हैं कि दौड़ने या जॉगिंग की तरह डोगा कुत्तों को थकाता नहीं है. उनके मुताबिक डोगा कुत्तों का योग नहीं है बल्कि यह उनके और उनके मालिकों के बीच संवाद है. वह कहती हैं, "इससे इंसान और जानवर के बीच रिश्ता मजबूत होता है. मैं जानवरों के लिए काम करती हूं. मैं रोज ऐसे जानवर देखती हूं जो बेघर और बेचारे हैं. और ऐसे इंसान देखती हूं जो उन्हें दुत्कारते हैं. इसलिए मैं डोगा पसंद करती हूं क्योंकि यह तस्वीर एक दम दूसरा पहलू है."
हालांकि डोगा के अध्यात्मिक पहलू को लेकर ब्रेनेन को कई संदेह हैं. वह कहती हैं कि जानवरों का अध्यात्मिक पहलू अनजान है लिहाजा इसका तो पता नहीं लगाया जा सकता कि डोगा का अध्यात्मिक असर कितना होता है.
अब बात डोगा को कुत्तों से आगे ले जाने की है. टाइटलमान कहती हैं कि घर के दूसरे पालतू जानवरों के लिए भी योग वैसे ही काम करता है, मसलन बिल्ली या पक्षी के लिए.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन