कैपलर ने खोजे कई नए ग्रह
३० जनवरी २०१२खोजा गया नया तारामंडल हमारे सौरमंडल से ज्यादा पुराना और बड़ा है. इसके सभी ग्रह धरती से बड़े हैं. कुछ डेढ़ गुना तो कुछ पृथ्वी के व्यास से पांच गुना ज्यादा बड़े हैं. अभी यह साफ नहीं हो सका है कि यह ग्रह पृथ्वी, मंगल और शुक्र की तरह ठोस धरती के हैं या फिर बृहस्पति, शनि और वरुण की तरह गैस से भरे हुए हैं.
नौ तारामंडलों में दो ग्रह हैं जबकि एक तारामंडल में तीन ग्रह हैं. आंकड़ों के आधार पर कहा जाए तो कैपलर ने 26 नए ग्रह खोजे हैं. सभी अपने मेजबान तारे शुक्र और सूर्य के करीब हैं. नासा के प्लैनेटेरी साइंटिस्ट जैक लिसाऔएर कहते हैं, "अब ऐसे तारों की संख्या तिगुनी हो गई है जिनके पास एक से ज्यादा गुजरने वाले ग्रह है. यह बड़ी बात है."
ताजा खोज के बाद ऐसे ग्रहों की संख्या 729 हो चुकी है, जिनके बारे में इंसान जानकारी जुटा चुका है. कैपलर दूरबीन तारे से आने वाले प्रकाश पर नजर रखती है. प्रकाश की निरंतरता को अकसर अंतरिक्ष में चक्कर लगाने वाले या भटकने वाले तारे तोड़ते हैं. ऐसा होने पर पता चलता है कि अंतरिक्ष की असीम गहराइयों में क्या चल रहा है.
मार्च 2009 में अंतरिक्ष में भेजी गई कैपलर दूरबीन अब तक 60 ग्रहों की पुष्टि कर चुकी है. कैपलर ने 2,300 उम्मीदवार ग्रह भी खोजें हैं. फिलहाल वैज्ञानिक उनकी पुष्टि में जुटे हैं. वैज्ञानिक पुष्टि के बाद ही साफ हो सकेगा इन 2,300 तारों को ग्रह कहा जाए या नहीं. फिलहाल कैपलर ऐसे 15,000 तारों की जांच कर रहा है जो हंस और लीरा तारामंडलों के बीच में हैं.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन