कैमरन ने की तुर्की को ईयू में लाने की वकालत
२७ जुलाई २०१०तुर्की 2007 से 27 देशों वाले यूरोपीय संघ में आने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस मोर्चे पर प्रगति बहुत धीमी रही है. तुर्की को पूर्ण सदस्यता देने के मुद्दे पर यूरोपीय संघ में तीखे मतभेद हैं. खासकर जर्मनी और फ्रांस तुर्की को यूरोपीय संघ में लेने के खिलाफ हैं.
लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री के तौर पर तुर्की के पहले दौरे पर गए डेविड कैमरन का कहना है कि अगर तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल किया जाता है तो इससे संघ में अधिक समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता आएगी. खासकर तुर्की आर्थिक तौर पर तेजी से उभर रहा है और मध्यपूर्व में राजनीतिक रूप से उसका खासा प्रभाव है. कैमरन ने कहा, "यह ऐसी बात है जिसके बारे में मैं बहुत गंभीरता से सोचता हूं. एक साथ मिलकर हम अंकारा से ब्रसेल्स तक का रास्ता तैयार करना चाहते हैं."
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि तुर्की तेजी से उभरती हुई आर्थिक ताकत है जिसकी अहमयित लगातार बढ़ेगी. खासकर ब्रिटिश कारोबारियों के लिए यह एक बड़ी संभावना है. उन्होंने कहा, "आज हमारे बीच 9 अरब डॉलर का सालाना व्यापार होता है. मैं अगले पांच साल में इसे दोगुना करना चाहता हूं." उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ संबंध मजबूत करना कैमरन के इस विदेश दौरे का खास मकसद है.
तुर्की के बाद वह भारत जाएंगे जहां दोनों देशों के बीच 50 करोड़ डॉलर का हथियार समझौता होने की उम्मीद है. साथ ही कई और समझौते भी हो सकते हैं. कैमरन के साथ इस यात्रा में उनके मंत्रिमंडल के सात मंत्री, ब्रिटिश हथियार निर्माता कंपनी बीएई सिस्टम्स के अलावा रॉल्स रॉयस, स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक, बेलफोर बिटी और ब्रिटिश म्यूजियम जैसी कंपनियों के अधिकारी भी हैं.
संडे टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक बीएई भारत की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स के साथ मिलकर 57 हॉक ट्रेनर जेट तैयार करेंगी जिसके लिए दोनों देशों के बीच 50 करोड़ पाउंड का समझौता होगा. यह विमान बंगलौर के पास तैयार किए जाएंगे. ब्रिटिश पीएम भी कंप्यूटर हब के तौर पर मशहूर बंगलौर का दौरा करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम