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कॉमनवेल्थ खेलः जीयो, उठो, बढ़ो, जीतो

३ अक्टूबर २०१०

भारत की विविधता को एक ट्रेन यात्रा कैसे एक साथ ला सकती है. इसका चित्रण कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह में कई सौ कलाकारों ने नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया. तकनीक और कला का सुंदर मिश्रण उद्घाटन समारोह.

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लोक कलाकारों ने जमाया रंगतस्वीर: AP

द ग्रेट इंडियन जर्नी ने लोगों का दिल जीत लिया. कॉमनवेल्थ खेलों के उद्घाटन समारोह में प्रस्तुत की गए इस नृत्य नाटिका में कई राज्यों के पारंपरिक लोक गीतों का इस्तेमाल किया गया. इस प्रस्तुति ने भारत के अरबों लोगों की आकांक्षा को दिखाया और भारत की विविधता भरी संस्कृति और परंपरा का चित्रण किया, जिसमें हर जगह मौजूद चायवाला और गाते हुए भिखारियों को भी दिखाया गया.

लद्दाख से लेकर केरल तक और सिक्किम से गुजरात तक 18 राज्यों के नर्तकों ने लोगों का दिल जीत लिया. लद्दाख का फ्लावर डांस, असम का बीहू, मध्यप्रदेश का भगोरिया, छत्तीसगढ़ का पंथी, सिक्किम का घंटू, पंजाब का भांगडा, राजस्थान का कालबेलिया, पश्चिम बंगाल का संथाली और झारखंड का कर्मा.

कार्यक्रम की शुरुआत में बुद्ध और महात्मा गांधी की बड़ी सारी छवि तकनीक की मदद से तैयार की गई. वैष्णव जन तो तेने कहिए जे... पृष्ठभूमि में चल रहा था. रहमान के थीम सॉन्ग जीयो, उठो, बढ़ो, जीतो पर स्टेडियम में मौजूद 60 हज़ार लोग झूमने को मजबूर हुए. रंग बिरंगी आतिशबाजी के बाद जैसे ही अलग अलग चित्रों से सजा हीलियम का गुब्बारा रोशनी में आया, दर्शकों ने उसका तालियों से स्वागत किया. जीन्स व्हाइट जैकेट में स्टेज पर आए रहमान ने भी खूब तालियां बटोरी.

816 योग एक्सपर्ट्स के आसनों को लोगों ने सांस थाम कर देखा. इसमें सूर्य नमस्कार और पद्मासनों के अलावा कई कठिन आसन इन कलाकारों ने प्रस्तुत किए. इसके बाद कुंडलिनी के आध्यात्मिक अर्थ को दिखाता एक कार्यक्रम में भी पेश किया गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः वी कुमार

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