कॉमनवेल्थ खेलः दर्शकों को लाने की चुनौती
७ अक्टूबर २०१०सोमवार को शुरू हुए कॉमनवेल्थ खेलों की स्पर्धाओं के दौरान बहुत ही कम दर्शक दिखते हैं लेकिन आयोजन समिति के मुखिया सुरेश कलमाड़ी का कहना है कि स्थिति बेहतर हो रही है. उनके मुताबिक, "जहां तक टिकटों का सवाल है तो कल बॉक्सिंग और कुश्ती के मुकालबों के दौरान आयोजन स्थल भरे हुए थे. जैसे जैसे भारत गोल्ड मेडल जीत रहा है, टिकटों की ब्रिकी बढ़ रही है. कल ही 50,000 टिकट बिके. हॉकी, टेनिस, तैराकी और अन्य एथलेटिक्स मुकाबलों के टिकट भी अच्छे बिके हैं." वहीं मौके पर मौजूद पत्रकारों का कहना है कि कलमाड़ी दर्शकों की संख्या को बढ़ा चढ़ा कर बता रहे हैं.
कलमाड़ी के दावों के बावजूद भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को बुधवार को अपना मैच लगभग खाली स्टेडियम में खेलना पड़ा. यही नहीं मंगलवार को जब भारत ने निशानेबाजी में पहला स्वर्ण पदक जीता, तो वहां भी मुट्ठी भर दर्शक ही मौजूद थे. जब कलमाड़ी से पूछा गया कि स्टेडियम कब भरेंगे तो उन्होंने कहा, "लोगों की दिलचस्पी दिन ब दिन बढ़ेगी. जब हम सेमी फाइनल या फाइनल में पहुंचते हैं तो लोग आना शुरू होंगे. स्थिति रोज बेहतर होगी."
वैसे दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान सिर्फ स्टेडियम खाली रहने की दिक्कत नहीं है, यातायात की मुश्किलें भी बनी हुई हैं. मसलन जिन ड्राइवरों को रखा गया है, उनमें से बहुत से दिल्ली से बाहर के हैं. उन्हें पता ही नहीं है कि कहां जाना है. कॉमनवेल्थ खेल संघ के मुखिया माइक फेनल ने कहा है कि यह चिंता की बात है और इसे दूर करने की कोशिश हो रही है. वह कहते हैं, "यातायात से जुड़ी कुछ समस्याओं का दूर नहीं किया गया है. हमसे और ड्राइवर रखने का वादा किया गया था. ऐसे ड्राइवर जो दिल्ली को समझते हों. दिल्ली के ड्राइवरों को रखा जाएगा."
फेनल का कहना है कि यातायात से जुड़ी समस्याओं के कारण लोगों को बहुत सा समय कार में बिताना पड़ रहा है. यह बहुत मुश्किल है लेकिन आयोजक इस समस्या को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि फेनल इस बार के खेल गांव को कॉमनवेल्थ के अब तक का सर्वश्रेष्ठ खेल गांव बता रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ए जमाल