कोहली के कमाल से बेबस पुणे
३० अप्रैल २०११रॉयल चैलेंजर्स टॉस हार कर बैटिंग करने उतरे थे. उनके ओपनर क्रिस गेल और तिलकरत्ने दिलशान ने टीम को मजबूत शुरुआत दी. हालांकि निजी तौर पर दिलशान कुछ ज्यादा नहीं कर पाए और 15 रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन तब तक गेल काफी रन बना चुके थे.
बैंगलोर का पहला विकेट 57 रन पर गिरा. लेकिन 74 रन पर इशांत शर्मा की गेंद पर आउट होने से पहले गेल ने 49 रनों की पारी खेली जिसके लिए उन्हें सिर्फ 26 गेंदें इस्तेमाल करनी पड़ीं. उन्होंने चार चौके और चार छक्के लगाए.
कोहली का तूफान
मजबूत नींव पर बड़ी इमारत बनाने के काम को तीसरे नंबर पर बैटिंग करने आए विराट कोहली ने बखूबी अंजाम दिया. उन्होंने 42 गेंदों पर 67 रन बनाकर अपनी टीम का स्कोर 181 तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया. डिविलियर्स ने 26 रन की पारी खेली और एसएस तिवारी ने 8 गेंदों पर 14 रन बनाए.
पुणे का संघर्ष नाकाफी
इस बेहतरीन प्रदर्शन के जवाब में पुणे की टीम पांच विकेट खोकर 155 रन ही बना पाई. हालांकि जेसी राइडर ने तेज 51 रन बनाए. उन्होंने सिर्फ 34 गेंदों पर चार चौके और दो छक्कों की मदद से बढ़िया पारी खेली. कप्तान युवराज सिंह ने भी 23 गेंदों पर 41 रन बनाकर जीत के लिए जरूरी लक्ष्य हासिल करने की पूरी कोशिश की. लेकिन इनका साथ देने वाला कोई नहीं था. टिम पेन 8 और मनीष पांडेय 19 रन ही बना पाए. एम मनहास तो 3 के स्कोर पर ही चलते बने.
आखिर में रॉबिन उथप्पा ने 17 गेंदों पर 23 रन बनाए लेकिन उनकी यह नाबाद पारी बहुत देर से आई और नाकाफी साबित हुई.
राजस्थान की आसान जीत
शुक्रवार को खेले गए आईपीएल के दूसरे मैच में सचिन तेंदुलकर की टीम मुंबई इंडियंस ने राजस्थान रॉयल्स के सामने बड़ी आसानी से घुटने टेक दिए. मुंबई ने पहले बैटिंग करके सिर्फ 94 रन बनाए थे. उन्होंने पूरे 20 ओवर खेले और आठ विकेट खोए. लेकिन शेन वॉर्न के गेंदबाजों ने बल्लों को बांधे रखा और रन नहीं बनने दिए. सचिन तेंदुलकर ने सिर्फ 7 रन बनाए. सबसे ज्यादा 15 रन डी जैकब्स ने बनाए.
आसान से लक्ष्य को राजस्थान ने आसानी से ही हासिल कर लिया. हालांकि उसका भी कोई बल्लेबाज बड़ा स्कोर नहीं बना सका. लेकिन शेन वॉटसन के 26 और जे बोथा के 45 रन ही जीत दिलाने के लिए काफी थे. मुंबई के गेंदबाजों ने तीन खिलाड़ियों को आउट किया और मैच को 19वें ओवर तक ले जाने में भी कामयाब रहे. लेकिन जीत उनसे सात विकेट दूर रह गई.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा