कोहली ने पाकिस्तान को हराया
१८ मार्च २०१२दोहरे शतकों और दोहरे सैकड़े की साझीदारी के बीच जब मैच ने आधी दूरी तय की, तो क्रिकेट पंडित भारत की हार की भविष्यवाणी करते हुए अपनी टिप्पणियां तैयार करने में लग गए. कुछ कहानियां तैयार कर ली गईं. कुछ स्क्रिप्ट लिख लिए गए. लेकिन विराट कोहली के विध्वंस ने सब कुछ तहस नहस करके रख दिया. कहानियां रद्दी की टोकरी में गईं, स्क्रिप्ट बदलने पड़े और टिप्पणियां कुछ यूं घुमाई गईं कि क्रिकेट महान अनिश्चितताओं का खेल है.
बाद में बल्लेबाजी करते हुए 330 रन का लक्ष्य बहुत बड़ा होता है. और अगर पारी की दूसरी गेंद पर विकेट गिर जाए और भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन अगर सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली नाम के बल्लेबाज क्रीज पर हों, तो कुछ भी कयास लगाना गैरवाजिब है. कोहली ने पिछले कुछ पारियों में खुद को ऐसी जगह पहुंचा दिया है, जहां उनके खेल का सम्मान और उनके शॉट्स की बारीकी से चर्चा होने लगी है.
कभी दर्शकों पर गुस्सा जाने वाले कोहली हवा का रुख बदल देने वाले बल्लेबाज साबित होते जा रहे हैं और सिर्फ 22 साल की उम्र में 85 वनडे मैचों के दौरान 11 शतकों के साथ अपनी परिपक्वता भी दिखा गए हैं. मीरपुर के मैच में भी उन्होंने जुझारू बल्लेबाज के तौर पर पारी की शुरुआत की, जो जमने के बाद एक क्रूर बल्लेबाज बन गया, जिसका एकमात्र उद्देश्य गेंदबाजों का मनोबल ध्वस्त करना है.
बॉल पर आखिरी लम्हों तक नजर रखने वाले कोहली का फुटवर्क गजब का है. कम वक्त में वह ऐसी जगह पहुंच गए हैं, जहां वह आखिरी लम्हों में शॉट खेल सकते हैं. बल्ले पर आती गेंद को फ्लिप कर सकते हैं या ऑफ में जाती फुल लेंथ को एक्रॉस द टोज खेल कर डीप स्क्वेयर लेग में बाउंड्री पार पहुंचा सकते हैं. कोहली ने पारी को संवारना भी सीख लिया है. उनके अंदर रनों की जो तड़प है, वह उनकी एकाग्रता पर नहीं दिखती. वह समझ गए हैं कि इमारतें कैसे खड़ी होती हैं. सौ गेंद खेलने के बाद कोहली ने अपना स्टांस बदला और गार्ड लेने के लिए पूरी तरह झुकना बंद कर दिया. बल्ला हवा में लहराने लगा. क्रीज पर सेट होने के बाद सचमुच ऐसा करने की जरूरत नहीं, जो बिना मतलब ऊर्जा खींचती हो.
वैसे 211 मिनट में 148 गेंद खेल कर 21 चौकों और एक छक्के की मदद से 185 रन बनाने वाले कोहली ने मैन ऑफ द मैच चुनने का काम आसान कर दिया. कोहली के साथ रोहित शर्मा ने भी अच्छी बल्लेबाजी की और 68 रन बनाए. कोहली बहुत प्रभावित हैं, "मुझे तो अभी भी पता नहीं कि वहां ग्राउंड पर क्या हुआ. मैं बहुत संतुष्ट हूं. हम ऐसे तीन चार ओवर का इंतजार कर रहे थे, जिसमें 15-20 रन बनें. मैं तो रोहित शर्मा का फैन हूं. उसे बल्लेबाजी करते हुए देखना अच्छा लगता है. मैं अपनी इस पारी को होबार्ट में खेली गई पारी के बराबर मानता हूं."
इससे पहले पाकिस्तान के दोनों सलामी बल्लेबाजों मोहम्मद हफीज और नसीर जमशेद ने पहले विकेट की साझीदारी के लिए 224 रन जोड़ डाले. भारत ने आठ गेंदबाजों को आजमा लिया फिर भी कामयाबी हासिल नहीं मिली. लेकिन जब पहला विकेट गिरा, तो फिर सिलसिला शुरू हो गया और छह विकेट 102 रन के अंदर गिर गए. फिर भी पाकिस्तान ने 50 ओवर में 329 रन बना डाले, जो विशाल स्कोर है. भारत ने जीत हासिल की, जो दूसरी पारी में खेलते हुए उसकी अब तक की सबसे बड़ी जीत बन गई.
पाकिस्तान ने लगभग एक साल पहले भारत के साथ आखिरी बार वर्ल्ड कप में खेला था. तब भी उसे हार मिली थी और मैच फिक्सिंग का आरोप अलग चस्पां हो गया. अब एशिया कप में हार के बाद लोग फिर कुछ कह सकते हैं. वैसे कप्तान मिस्बाह जीत का श्रेय कोहली को देते हैं.
चूंकि क्रिकेट महान अनिश्चितताओं का खेल है, लिहाजा आगे का खेल भी तय नहीं. भारत इस जीत के बाद भी फाइनल में नहीं पहुंचा है और पाकिस्तान पहले ही पहुंच चुका है. अब सारा दारोमदार अगले मैच पर होगा, जहां श्रीलंका को बांग्लादेश से भिड़ना है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः एन रंजन