क्या यूरो कप तक तैयार होगा स्टेडियम
१८ फ़रवरी २०१२आलोचकों का कहना है कि 35 साल की नई खेल मंत्री योआना मुचा इसके लिए जिम्मेदार हैं. उनका मानना है कि मुचा के पास पर्याप्त अनुभव नहीं है और वह दुनिया भर में मशहूर यूरो कप फुटबॉल जैसी बड़ी प्रतियोगिता के आयोजन के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं. पोलैंड के इस स्टेडियम में उद्घाटन मैच आठ जून को खेला जाना है.
पिछले हफ्ते तनाव उस वक्त बढ़ गया, जब अधिकारियों ने यहां एक सुपर कप मैच को रद्द कर दिया. उनका मानना था कि स्टेडियम में इतनी हिफाजत नहीं है कि प्रशंसकों को खिलाड़ियों से दूर रखा जाए. इस स्टेडियम की ओपनिंग सेरेमनी पिछले महीने ही थी. यूरो 2012 में इसकी खास भूमिका रहेगी. स्टेडियम बनाने के लिए उत्तरदायी स्पोर्ट्स सेंटर के प्रमुख रफाल कापलर ने विवादों और आलोचनाओं के बीच सोमवार को इस्तीफा दे दिया है. मुचा ने इसके बाद कापलर के 1,80,000 डॉलर के बोनस को रद्द कर दिया. इस स्टेडियम को पिछले साल जुलाई में ही तैयार हो जाना था लेकिन इसमें लगातार देरी हो रही है.
पोलैंड के अलावा सह आयोजक यूक्रेन को भी स्टेडियम, सड़कें और दूसरी ढांचागत तैयारियों में वक्त लग रहा है. 29 फरवरी को पुर्तगाल और पोलैंड के बीच दोस्ताना मैच खेला जाना है. इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. पोलैंड के कोच फ्रांसिस्क श्मूदा ने कहा है कि वह चाहते हैं कि वह राष्ट्रीय स्टेडियम में ही खेलें लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो यह मैच पश्चिमी पोलैंड के रोकलॉ में भी हो सकता है.
मुचा को पोलैंड सरकार की सबसे फैशनेबल मंत्रियों में गिना जाता है. श्मूदा से जब उनके बारे में पूछ गया, तो उन्होंने कहा, "मिस मुचा एक... खूबसूरत महिला हैं. जब मंत्रालय की बात होगी तो वह जरूर सब कुछ संभालने की कोशिश करेंगी." विपक्षी पार्टियों का कहना है कि स्टेडियम बनने में देरी होने पर प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क को अपना मंत्रिमंडल बदलना पड़ेगा या मुचा को बर्खास्त करना होगा.
टुस्क की पार्टी को अक्तूबर में हुए चुनाव में जीत मिली है. इसके बाद वह अगले महीने से अपने हर मंत्री से मुलाकात करने वाले हैं. पार्टी ने हाल ही में तय किया है कि वह देश में रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ा कर 67 साल कर देगी. इसके बाद से सरकार की लोकप्रियता तेजी से गिरी है.
स्टेडियम में देरी के अलावा मुचा दूसरी वजहों से भी सुर्खियों में हैं. देखना है कि पोलैंड में यूरो 2012 तक क्या होता है. हालांकि खेल आयोजनों से पहले मेजबान देशों की आलोचना कोई नई बात नहीं है. पिछले ओलंपिक के दौरान चीन की, उसके बाद वर्ल्ड कप फुटबॉल में दक्षिण अफ्रीका की और कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भारत की आलोचना हुई है. लेकिन तीनों ही जगहों पर शानदार खेल आयोजित हुए.
रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल
संपादनः एमजी