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क्विज शो में कंप्यूटर ने इनसान को हराया

१८ फ़रवरी २०११

न्यू यॉर्क में अजीबोगरीब खेल हुआ, जिसमें इनसान जीत भी गया और हार भी गया. कंप्यूटर ने टीवी शो में इनसानों को हरा दिया लेकिन जिस कंप्यूटर ने उन्हें हराया आखिर उसे भी तो इनसान ने ही बनाया है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

मशहूर कंप्यूटर कंपनी आईबीएम के वॉटसन ने अमेरिका के मशहूर क्विज शो जियोपार्डी में हिस्सा लिया. यह आसान शो नहीं और इसमें सीधा जवाब नहीं देना होता, बल्कि सवाल पूछने होते हैं. यह पचासों साल से चला आ रहा है.

Supercomputer Watson bei Jeopardy
तस्वीर: dapd

लेकिन पहली बार इस गेम शो में दो जहीन इनसानों के साथ वॉटसन नाम के कंप्यूटर को शामिल किया गया. आईबीएम ने इस सुपर कंप्यूटर को तैयार किया है और इसका नाम कंपनी के पूर्व प्रमुख थॉमस वॉटसन के नाम पर रखा गया है.

वॉटसन के मेमोरी में कूट कूट कर जानकारी भरी गई और क्विज शो के दौरान उसका ज्ञान देखते ही बनता था. तीन दिनों तक चले इस शो में उसने साहित्य से लेकर संगीत और खेल से लेकर राजनीति तक पर जवाब दिए. कभी कभी तो यह भी लगने लगा जैसे उसके पास सभी चीजों की जानकारी हो. लेकिन वॉटसन ने कभी कभी गलत जवाब भी दिए, जिससे खेल में और रोमांच आ गया.

जियोपार्डी के संचालक एलेक्स ट्रेबक ने पूछा, "भारत में करीब 4000 साल पुरानी कौन सी भाषा है, जिसका जिक्र वैदिक काल में किया जाता है." कंप्यूटर वॉटसन ने फौरन सवालनुमा जवाब दागा, "व्हाट इज संस्कृत. (संस्कृत क्या है.)"

आईटी के क्षेत्र में भले ही गूगल और एप्पल ने हाल के दिनों में शानदार कामयाबी हासिल की हो लेकिन 100 साल पुराने आईबीएम का अब भी कोई जवाब नहीं है. वॉटसन इसकी मिसाल है. आईबीएम ने 1997 में सुपर ब्लू नाम का सुपर कंप्यूटर तैयार किया, जिसने शतरंज के बादशाह गैरी कास्परोव को पराजित किया. उससे जब जियोपार्डी में पूछा गया, "गरीब कामगार इसे दोष देते हैं." तो वॉटसन कंप्यूटर का जवाब रहा, "औजार क्या होते हैं."

लेकिन वॉटसन 100 फीसदी सवालों के जवाब नहीं दे पाया. गेम के अंत में 77,147 डॉलर जीत कर वह टॉप पर रहा, जबकि लगातार 74 गेम जीतने वाले केन जेनिंग्स 24,000 डॉलर ही जीत पाए. तीसरे नंबर पर ब्रैड रटर रहे, जिन्होंने 21,600 डॉलर जीते.

आईबीएम अपनी जीत की सारी राशि धर्मार्थ खर्च की जाएगी.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः एन रंजन