क्षुद्रग्रह से महाप्रलय की आशंका
१८ फ़रवरी २०१०सौभाग्य से अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा के वैज्ञानिक उन आकाशीय पिंड़ों की भी हमेशा तलाश में रहते हैं, जो केवल कुछ मीटर ही बड़े हैं. ऐसा ही एक पिंड गत 13 जनवरी को भारतीय समय के अनुसार शाम सवा छह बजे पृथ्वी से केवल एक लाख 22 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर से गुज़रा. वह केवल 10 से 15 मीटर के बीच बड़ा था. अनुमान है कि इस तरह के कोई बीस लाख क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के निकटवर्ती अंतरिक्ष में घूम रहे हैं. औसतन हर हफ्ते इस तरह का एक क्षुद्र पिंड पृथ्वी से चंद्रमा तक की दूरी दूरी के बीच से निकल जाता है.
अतीत में कई बार पृथ्वी से टक्कर
ऐसा ही एक क्षुद्र ग्रह है एपोफ़िस. केवल ढाई सौ मीटर बड़ा है. हिसाब लगाया गया है कि शुक्रवार 13 अप्रैल 2029 को वह पृथ्वी से केवल 36 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर से गुज़रेगा. यह वही दूरी है, जहां रेडियो और टेलीविज़न कार्यक्रम रिले करने वाले हमारे अधिकतर संचार उपग्रह भी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं.
अमेरिका में खगोल भौतिकी के हारवर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर के डॉ. अर्विंग शापिरो बताते हैं कि पृथ्वी को अतीत में कई बार इस तरह के पिंडों के साथ टक्कर झेलनी पड़ी हैः "इस तरह का सबसे पिछला प्रलयंकारी पिंड साढ़े छह करोड़ साल पहले टकराया था. उसने न जाने कितने जीव-जंतुओं की प्रजातियों का पृथ्वी पर से अंत कर दिया. डायनासॉर इस टक्कर से लुप्त होने वाली सबसे प्रसिद्ध प्रजाति हैं. समस्या यह है कि हम नहीं जानते कि कब फिर ऐसा ही हो सकता है."
वह लघु ग्रह सन फ्रांसिस्को की खाड़ी जितना बड़ा था और आज के मेक्सिको में गिरा था.इस टक्कर से जो विस्फोट हुआ, वह दस करोड़ मेगाटन टीएनटी के बराबर था. पृथ्वी पर वर्षों तक अंधेरा छाया रहा.
नासा का बजट बहुत कम
डॉ. शापिरो ने हाल ही में अमेरिकी संसद के लिए क्षुद्र ग्रहों और धूमकेतुओं की पहचान संबंधी नासा के वार्षिक बजट की मूल्यांकन रिपोर्ट लिखी है. रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि 2020 तक पृथ्वी के निकटवर्ती अंतरिक्ष के 90 प्रतिशत पिंडों की पहचान कर लेने के सरकारी लक्ष्य की दृष्टि से नासा का बजट बहुत कम हैः
"इन पिंडों से पैदा होने वाला ख़तरा एक असामान्य प्राकृतिक आपदा है, क्योंकि हम तो यह भी नहीं जानते कि भूकंप की भविष्यवाणी कैसे करें, बवंडरी आंधियों की भविष्यवाणी कैसे करें, जबकि यह भविष्यवाणी ज़रूर कर सकते हैं कब कोई पिंड पृथ्वी से टकरायेगा."
टक्कर कैसे टले
वैज्ञानिक इस सोचविचार में भी लग गये हैं कि ऐसी किसी टक्कर को टाला कैसे जा सकता है. यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण एएसए का जर्मनी में डार्मश्टाट स्थित परिचालन केंद्र उन उपग्रहों और अंतरिक्षयानों का संचालन और नियंत्रण करता है, जो सौरमंडल के भीतर खोजकार्यों में लगे हैं.वहां यूरोप के कई विश्वविद्यालयों और औद्योगिक कंपनियों की एक मिलीजुली परियोजना पर काम हो रहा. योजना यह है कि किसी लघु ग्रह को चुना जाय, दो मानवरहित अंतरिक्षयान वहां भेजे जायें. पहला यान उस के चक्कर लगाये और उस पर नज़र रखे. दूसरा यान छह महीने बाद वहां पहुंचे और लघु ग्रह को इस तरह टक्कर मारे कि उसका परिक्रमापथ बदल जाये. प्रेक्षकयान इस के बाद भी कुछ समय तक देखता रहे कि लघु ग्रह का रास्ता कितना बदला है.
इस परियोजना से जुड़े माइकल ख़ान बताते हैं: "यह जानने के लिए कि किसी पिंड को उसके रास्ते से कैसे विचलित किया जाये, हमें यह जानना होगा कि उसकी भीतरी बनावट कैसी है. इसे जानने के लिए उस के पास पहुंचना ज़रूरी है. हो सकता है कि वह किसी मलबे के अनेक छोटे-बड़े टुकड़ों का ढेर भर हो. ऐसे किसी ढेर को यदि आप टक्कर मारेंगे तो उसके टुकड़ों में केवल उथलपुथल ही मचायेंगे-- कुछ उसी तरह, जिस तरह आलू से भरी थैली पर मुक्का मारने से उथलपुथल के बाद आलू फिर से इकट्ठे हो जायेंगे."
एपोफ़िस दुबारा लौटेगा, टक्कर निश्चित
आज से 19 साल बाद पृथ्वी के निकट आने वाले एपोफ़िस के साथ एक समस्या और है. यदि वह उसी समय पृथ्वी से नहीं टकराता, तो सात वर्ष बाद 2036 में दुबारा आयेगा और तब उसका पृथ्वी से टकराना लगभग निश्चित लगता है. यदि यह टक्कर हुई, तो उसकी विस्फोटक शक्ति हिरोशिमा पर गिराये गये परमाणु बम से भी दस लाख गुना अधिक होगी.
इस प्रलय को टालने के उद्देश्य से अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा अन्य देशों के अंतरिक्ष संगठनों का सहयोग पाने के लिए अभी से प्रयत्नशील है. हो सकता है, दो दशक बाद एपोफ़िस के पहले पदार्पण के समय ही उसका रास्ता बदलने या उसे नष्ट करने में ऐसी सफलता मिल जाये कि उसके दुबारा लौटने का प्रश्न ही नहीं पैदा हो.
रिपोर्ट- स्टुअर्ट टिफ़न / राम यादव