ख़ान हूं ना, इसलिए रोका गया: शाह रूख़
१५ अगस्त २००९शाह रूख़ ख़ान ने मीडिया को बताया है कि वह बार-बार अमेरिकी इमीग्रेशन अधिकारियों को बताते रहे कि वह एक अभिनेता हैं और कि उन्हें कुछ ज़रूरी फ़ोन करने की इजाज़त दी जानी चाहिए. पर अमेरिकी अधिकारियों ने शुरूआत में उनकी एक न सुनी और कहा कि उन्हें कॉल करने की अनुमति नहीं है. शाह रूख़ ने एक ख़ास इमीग्रेशन अधिकारी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं था.
शाह रूख़ का कहना है कि, " काफ़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपने दोस्तों से बात करने की इजाज़त दे दी. पहले मैंने अपने सेक्रेटरी को संदेश भेजा, अपने घर पर बताया और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला को भी पूरी घटना की जानकारी दी."
ख़ान के मुताबिक़ राजीव शुक्ला ने भारतीय दूतावास को सूचित किया और फिर दूतावास अधिकारियों ने तत्काल इमीग्रेशन स्टाफ़ से संपर्क साधा और उनकी रिहाई सुनिश्चित की. शाह रूख़ के अनुसार एयरपोर्ट पर कुछ अधिकारी ऐसे थे जो उन्हें जानते थे लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें नियमों के दायरे में ही काम करना है.
इस घटना से नाराज़ शाह रूख़ ने कहा कि, "मैं अमेरिका आने से पहले हमेशा चिंता में घिरा रहता हूं. मैं यहां आने से परहेज़ करना चाहता हूं. मैं एक आतंकवादी जैसा नहीं दिखता हूं जो इस देश को कोई नुक़सान पहुंचाएगा. मेरे नाम (ख़ान) की वजह से ही मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया. मेरे से वाहियात से सवाल पूछे जाते रहे कि मैं कहां रूका हूं और मेरे होटल का फ़ोन नंबर क्या है"
शाह रूख़ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें बुरा लगा. उन्हें ग़ुस्सा आया. साथ ही उन्होंने संतोष जताया कि उनका परिवार उनके साथ नहीं था क्योंकि उन्हें डर था कि इमीग्रेशन अधिकारी उनके साथ बुरा व्यवहार करते. शाह रूख़ ने माना है कि यह पहली बार नहीं हुआ है और ऐसा कई बार हो चुका है लेकिन इस बार उन्हें दुख ज़्यादा हो रहा है.
शाह रूख़ 20 अगस्त को भारत लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अमेरिका नहीं आना चाहते और अकेले तो बिल्कुल नहीं. शाह रूख़ के मुताबिक़ उनके गार्ड को वीज़ा नहीं दिया गया था और इसलिए वह पहले से ही परेशान थे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़