खूबसूरती का खेल बराबरी का मेल
१२ अगस्त २०१२हेप्टाथेलॉन में ब्रिटेन की चैम्पियन जेसिका एन्निस की रंगीन पट्टियों से सजे सपाट पेट के साथ ही जी जान से तराशे नाखून और पानी में न धुलने वाली मस्करा लंबे समय तक लोगों के जेहन में बनी रहेंगी. इतना ही नहीं, टीवी इंटरव्यू में डिजायनर अलेक्जेंडर मैक्क्वीन के तैयार किए हुए ड्रेस से भी उन्होंने बाजी मार ली. अमेरिका की तेज धावक कारमेलिटा की 1930 के दशक वाली चोटी जब लहराई तो देखने वालों के लिए अपनी नजरों को संभालना मुश्किल हो गया. इसी तरह जमैका की शेली एन फ्रेजर ने देश के झंडे से मेल खाते निऑन पीले रंग के बालों से तमाशा लूटा.
200 मीटर की दौ़ड़ में सोना जीतने वाली एलिसन फेलिक्स को सबसे खूबसूरत महिला खिलाड़ी कहा गया है तो उन्हीं के देश की गैब्रियल डगलस और ब्रिटेन की महिला बॉक्सर निकोला एडम्स के बीच सबसे मीठी मुस्कान की जंग है. डेली टेलिग्राफ की फैशन रिपोर्टर लीसा आर्मस्ट्रांग ने लिखा है, "हो सकता है कि मैं भूल रही हूं लेकिन लंदन ओलंपिक जितने सुंदर ओलंपिक खिलाड़ी मुझे दूसरे कभी नहीं याद रहेंगे. यह तो खिलाड़ियों का हॉलीवुड संस्करण है."
वैसे यह स्वाभाविक है क्योंकि सिर्फ खूबसूरत चेहरों ने ही नहीं महिला खिलाड़ियों के खेल प्रदर्शनों ने भी लंदन ओलंपिक को सुर्खियों में बनाए रखा है. यह पहला ओलंपिक है जब महिलाओं ने हर खेल में भागीदारी की है. फुटबॉल से लेकर बॉक्सिंग, जूडो, ताइक्वोंडो, रोइंग, राइडिंग हर खेल में उनकी मौजूदगी ने न सिर्फ खेल का मान बढ़ाया है बल्कि शानदार प्रदर्शन ने देखने वालों को सांस रोकने पर मजबूर कर दिया है.
फुटबॉल खिलाड़ी डेविड बेकहम कहते हैं कि लड़कियों ने इन खेलों के दौरान "सबसे यादगार लम्हों" को जन्म दिया है. गार्डियन अखबार ने लिखा है कि महिला खिलाड़ियों ने खुद को एक समान रूप से प्रशिक्षित किया है वो भी ऐसे माहौल में जहां उनकी अवहेलना की गई, उन्हें प्रताड़ित किया गया और उन पर तरह तरह के आरोप लगाए गए. अखबार के स्तंभकार जो विलियम्स ने लिखा है, "इन्होंने इन सारी बाधाओं को पार कर किसी तरह खुद को तैयार किया, वह बाहर आईं और वो जीत गईं."
बराबरी के करीब
खेल आयोजकों का कहना है कि उन्हें इस खेल की मेजबानी पर गर्व है. यह पहली बार हुआ है जब खेल में शामिल सभी 204 देशों ने महिला खिलाड़ियों को इसके लिए भेजा. यहां तक कि सऊदी अरब, कतर और ब्रुनेई भी. इन देशों ने पहली बार महिला खिलाड़ियों को ओलंपिक में शामिल होने की इजाजत दी है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक महासंघ के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने माना कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. एडम्स ने कहा, "यह महान है, सांकेतिक बल्कि कहना चाहिए एक अहम संकेत है लेकिन पर्याप्त नहीं. निश्चित रूप से हम इसे आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं." यह पूछने पर कि क्या 2016 में रियो ओलंपिक तक मर्द औरत में बराबरी हासिल हो जाएगी, एडम्स ने कहा, "मैं कोई निश्चित तारीख तो नहीं दे सकता कि रियो में सब कुछ बराबर हो जाएगा लेकिन हम उसके बहुत बहुत करीब होंगे."
लंदन ओलंपिक में 44 फीसदी खिलाड़ी महिलाएं थी. 1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में यह आंकड़ा महज 24 फीसदी था. यहां तक कि 1992 में भी केवल 26 देशों ने महिला खिलाड़ियों को ओलंपिक में भेजा. लंदन में पूर्व खेल मंत्री टेसा जोवेल ने तो शनिवार को इस बात के लिए अभियान चलाने की शपथ ली कि रियो ओलंपिक पहला खेल होगा जहां महिला पुरुष बराबर होंगे.
एनआर/एमजे (डीपीए)