खेती किसानी की तरफ लौटते ग्रीक युवा
३१ अक्टूबर २०११पांतोलिस ने वित्तीय संकट से काफी पहले ही भांप लिया था कि बनावटी आर्थिक वृद्धि का बुलबुला ज्यादा समय तक टिकने वाला नहीं है. 40 वर्षीय पांतोलिस कहते हैं, "मैंने पहले ही जान लिया था कि बनावटी आर्थिक वृद्धि, समृद्धि और अमीरी का बुलबुला एक दिन फूटने वाला है और इससे पहले कि ऐसा हो, मैं इससे बचना चाहता था." इसीलिए दो साल पहले वह पत्नी और दो बच्चों के साथ अपना सारा सामान ट्रक में भर कर उत्तरी ग्रीक शहर थेस्सालोनिकी से 50 किलोमीटर दूर कातेरीनी नाम के छोटे से कस्बे में आ गए, जहां उनका पुश्तैनी घर है.
पांतोलिस कहते हैं कि यह फैसला आसान नहीं था लेकिन अब उन्हें इस पर कोई पछतावा नहीं है. राजधानी एथेंस और दूसरे शहरों में छिन रही लोगों की नौकरियां और सड़कों पर होते विरोध प्रदर्शन उनके फैसले को सही साबित करते हैं. वह कहते हैं, "शुरू में हर किसी ने सोचा कि मैं पागल हो गया हूं जो अपने पुश्तैनी कस्बे में जाकर वाइन बनाने के काम में लग रहा हूं, लेकिन अब उन्हें पता चल रहा है कि बड़े शहरों में कुछ नहीं बचा है. हमारे राजनेताओं ने हमें नाकाम कर दिया है. सिर्फ मैं नहीं हूं जिसका सब्र जवाब दे रहा है. दूसरे लोगों को भी बहुत कुछ गंवाना पड़ रहा है."
खेती की तरफ रुख
पांतोलिस उन बहुत से ग्रीक लोगों में शामिल हैं जो अपने पुश्तैनी गावों की तरफ लौट रहे हैं और खेती बाड़ी को अपना रहे हैं. इस वक्त ग्रीक दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सरकार विशाल कर्ज को कम करने और अंतरराष्ट्रीय राहत ऋण लेने की कोशिश कर रही है. लेकिन सरकार की बचत योजना के नतीजे में बढ़ती महंगाई के बीच लोगों के वेतन, पेंशन और सरकारी सुविधाओं में कटौती हो रही है.
ग्रीस के युवा किसान संघ के दिमित्रीस मिशाएलिदिस का कहना है, "जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों की नौकरियां जा रही हैं, उतना ही वे स्थिर काम और किफायदी जीवनशैली की तलाश में हैं ताकि उन्हें खाना मिल सके और खेती बाड़ी से उन्हें ये मिल सकता है. हमें काफी मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि बेशुमार लोग पूछ रहे हैं कि उनके इलाके में सबसे अच्छी तरह कौन सी फसल उग सकती है."
सुधरेंगे गांव देहात
30 वर्षीय एवी पापादिमित्रओ लगभग उन 60,000 ग्रीक लोगों में शामिल हैं जिन्होंने पिछले दो साल में खेती बाड़ी शुरू की है. यानी वे शहरों से गांवों की तरफ से लौटे हैं. एथेंस में मार्केटिंग की पढ़ाई करने के बाद पापादिमित्रओ मुश्किल से अपना गुजारा चला रही थी. उन्हें ऐसी नौकरियां मिलीं जिनका उनकी पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं था. फिर उन्होंने उत्तरी पश्चिमी ग्रीस में अपने माता पिता के कस्बे अर्ता लौटने का फैसला किया और खेती बाड़ी में जुट गईं. वह बताती हैं, "एथेंस में रहना मेरे बस की बात नहीं रह गई थी, इसीलिए मैंने जोखिम उठाया. अगर अब इससे मैं अपने गुजारे के लिए सामान जुटा सकती हूं तो मैं खुश रहूंगी."
पापादिमित्रओ मानती हैं कि आर्थिक संकट की वजह से यह एक अच्छी बात हो सकती है कि ज्यादा से ज्यादा युवा गांव देहात की तरफ लौटेंगे और इससे गांव और कस्बों की हालत सुधरेगी जिनकी अब तक अनदेखी हो रही थी.
कहां मिलेगी नौकरी
बहुत से शिक्षित ग्रीक युवा अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप के दूसरे हिस्सों या मध्यपूर्व जाने की कोशिश कर रहे हैं. पांच दशक से भी ज्यादा समय हो गया जब लाखों गरीब किसान और मजदूरों ने बेहतर जिंदगी की तलाश में ग्रीस छोड़ दिया. इनमें से ज्यादातर लोगों ने विदेश जाकर फैक्ट्रियों या रेस्त्राओं में काम किया. लेकिन 1980 और 1990 के दशक में समृद्धि आने के बाद बहुत से लोग वापस अपने वतन आ गए. खास कर यूरोजोन में आने के बाद ग्रीस की आर्थिक प्रगति और 2004 में हुए ओलंपिक खेलों की तैयारी के बीच नौकरियों के बेशुमार अवसरों ने भी बहुत से लोगों को खींचा.
कंपनियों और रोजगार एजेंसियों को यूरोप भर से युवाओं के रेज्युमे मुहैया कराने वाले यूरोपास का कहना है कि सितंबर में 13,300 ग्रीक लोगों ने अपने रेज्युमे भेजे जबकि 2008 में इस दौरान 2,200 लोगों ने आवेदन दिया था. नौकरियां तलाशने वाले लोगों में 63 प्रतिशत से ज्यादा की उम्र 30 साल से कम है. पेशे से जीवविज्ञानी 27 वर्षीय इवेगेनिया त्साकिली का कहना है, "मुझे यहां नौकरी नहीं मिल पा रही है और आने वाले कुछ सालों में भी स्थिति बेहतर होती नहीं दिख रही है." वह साइप्रस में लैब रिसर्चर के तौर पर काम कर रही हैं.
रिपोर्ट: डीपीए/ए कुमार
संपादन: ओ सिंह