खौफ में जीते भूकंप पीड़ित
बिस्तर के बगल में या कालीन से नीचे जहरीला सांप हो तो भला किसे नींद आएगी. ईरान में भूंकप के चलते बेघर हो चुके लोग हर पल ऐसे ही खतरे के साथ जीते हैं.
बिस्तर के पास सांप
12 नवंबर 2017 की शाम ईरान केकेर्मानशाह प्रांत में तेज भूकंप आया. भूकंप में 630 लोग मारे गए. 70,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए. हजारों बेघर लोग अब भी टेंट में रह रहे हैं. इन टेंटों में अक्सर जहरीले सांप भी घुस जाते हैं. यह इलाके में पाए जाने वाले सबसे जहरीले सांपों में से एक है.
सरकार की अनदेखी
उत्तरी ईरान का केर्मानशाह कुर्द बहुल इलाका है. इराक और सीरिया के साथ साथ यहां के कुर्द भी एक अलग देश कुर्दिस्तान का सपना देखते हैं. ईरान सरकार पर कुर्द समुदाय की अनदेखी के आरोप भी लगते हैं. कहा जा रहा है कि भूकंप पीड़ितों के पुर्नवास में भी यह अनदेखी नजर आती है.
कुदरत से जंग
ईरानी नववर्ष नवरोज के मौके पर भूकंप पीड़ितों ने भी जलसे की तैयारी की. इस दौरान एक टेंट में कालीन के नीचे सांप दिखाई पड़ा. गर्मी और चूहों के चक्कर में सांप अक्सर टेंटों में घुस जाते हैं. कुछ जहरीले सांपों का एंटीडोट भी आस पास मौजूद नहीं है.
सांपों के चक्कर में सांप
सांपों को खाने वाले बड़े सांप भी केर्मानशाह के टेंटों में अक्सर दिखाई पड़ते हैं. प्रशासन सांपों के सुरक्षा मुहैया कराने का वादा तो कई बार कर चुका है लेकिन नतीजा आज भी जस का तस है.
एशिया के सबसे खतरनाक बिच्छू
बेहद विषैले माना जाने वाला ईरानी पीला बिच्छू और एशियाई बिच्छू भी जब तक टेंटों में दिख जाते हैं. छोटे बच्चों और रसोई में काम करती महिलाओं को इन बिच्छुओं से सबसे ज्यादा खतरा होता है.
अंतहीन होता इंतजार
लकड़ी जलाकर धुआं सहते हुए खाना बनाना, आस पास साफ सफाई या नालियों को कोई इंतजाम न होना, घर वापसी कब होगी, इस सवाल का कोई ठोस जवाब न मिलना, भूकंप पीड़ित हर रात ऐसी चिंताओं को ओढ़कर नई सुबह का इंतजार करते हैं.
स्वंयसेवियों से मदद
आम लोग और मानवीय राहत संस्थाएं भूकंप पीड़ितों की काफी मदद करती हैं. खाने पीने का सामान समय समय पर मुहैया कराया जाता है. लेकिन मदद के आगे आए हाथ भी सांप या बिच्छुओं का इलाज नहीं जानते.
महामारी की आशंका
टेंट बस्ती में टॉयलेट तो बनाए गए हैं, लेकिन गंदा पानी भी वहीं खुले गड्ढे में जमा होता है. इससे दुर्गंध फैलती है और बीमारियों का खतरा भी पैदा होता है. गंदगी चूहों को भी आकर्षित करती है.
जिम्मेदार कौन
ईरान राष्ट्रपति हसन रोहानी ने वादा किया था कि 2018 की गर्मियों तक टेंट में रहे लोगों के लिए पक्के शिविर बना दिए जाएंगे. लेकिन गर्मियां आ चुकी हैं और पक्के शिविरों का अता पता नहीं है. सर्दियों में ठिठुरने वाले भूकंप पीड़ियों को अब खौलती गर्मी झेलनी होगी. पानी के लाले अभी से पड़ने लगे हैं.