गडकरी को सबक सिखाएंगे लालू
१४ मई २०१०नितिन गडकरी के बयान और बाद में उनकी माफी के बाद लालू प्रसाद यादव ने पटना में कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है. लालू ने कहा, "मात्र माफी मांग लेने से, शब्द वापस ले लेने से काम नहीं चलेगा. हम इन्हें संस्कारों का सबक सिखाएंगे. ताकि फिर कभी ये इस तरह की अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल न करें."
लालू यादव ने कहा कि दो पार्टियों में अलग अलग विचार स्वाभाविक है लेकिन इस तरह की भाषा कभी नहीं इस्तेमाल की गई. राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया ने कहा, "बीजेपी में जितने भी अध्यक्ष आए, हमने बहुत बार आरोप प्रत्यारोप झेले. हमने बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणीजी को गिरफ्तार भी किया, बहुत बार बहुत कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया. लेकिन एलके आडवाणीजी या बीजेपी या किसी और राजनीतिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया." लालू यादव की सरकार ने 1989 में रथ यात्रा के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार किया था.
नितिन गडकरी बीजेपी के कटौती प्रस्ताव के गिर जाने पर अपना गुस्सा निकाल रहे थे. बीजेपी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने पार्टी के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लालू यादव और मुलायम सिंह यादव "बड़ा शेर जैसा डकारते थे, और कुत्ते के जैसे बन कर सोनियाजी और कांग्रेस के घर पर तलवे चाटने लगे."बाद में वह बार बार इस बयान के लिए माफी मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने तो बस एक मुहावरे का इस्तेमाल किया था. लेकिन लालू प्रसाद का कहना है, "हो सकता है कि आरएसएस के शब्दकोष में यह मुहावरा हो लेकिन हमारे लिए यह मुहावरा नहीं है."
इस बीच मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी ने भी इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और नितिन गडकरी के खिलाफ अदालत जाने का मन बना लिया है. पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने नई दिल्ली में कहा कि गडकरी ने मुलायम सिंह और लालू यादव जैसे बेहद वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है. पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि वे कानूनी मदद ले रहे हैं और उनके खिलाफ अदालत जाएंगे.
इस बीच कांग्रेस ने भी बीजेपी अध्यक्ष के इस बयान पर कड़ा एतराज जताया है. पार्टी के प्रवक्ता शकील अहमद खान ने कहा, "यह बेहद अपमानजनक भाषा है. लेकिन हमें इसमें कोई आश्चर्य नहीं. जब नितिन गडकरी को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, तभी कहा जा रहा था कि उनका कद राष्ट्रीय राजनीति के लिए नहीं है. अब वह इस तरह की जुबान अपना कर इसे साबित कर रहे हैं."
चारों तरफ से घिरने के बाद नितिन गडकरी ने अपना बयान वापस ले लिया है और बार बार माफी मांग रहे हैं. गडकरी ने कहा, "मैं तो अपने भाषण में बस एक मुहावरे का इस्तेमाल कर रहा था. अगर इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं. मैंने उन्हें कुत्ता नहीं कहा है. यह तो सिर्फ एक मुहावरा था. इसे गलत नहीं समझा जाना चाहिए. मैं तो उनकी भूमिका के बारे में कह रहा था."
गडकरी का कहना है कि कटौती प्रस्ताव के वक्त लालू यादव और मुलायम सिंह यादव बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के साथ खड़े थे लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी का साथ नहीं दिया. कुछ ऐसा ही बीएसपी ने भी किया. गौरतलब है कि पिछले दिनों बीजेपी ने जो कटौती प्रस्ताव संसद में रखा था, वह पास नहीं हो पाया था. यहां तक कि बीजेपी की साथी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी उसके खिलाफ वोट दे दिया था, जिसके बाद बीजेपी ने झारखंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः महेश झा