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गद्दाफी की मौत से बेपरवाह लीबिया के लोग

२२ अक्टूबर २०११

संयुक्त राष्ट्र मुम्मर गद्दाफी के मौत की जांच करने की मांग कर रहा है लेकिन लीबिया के लोग इस बारे में ज्यादा नहीं सोच रहे. उधर अलगाववादी कश्मीरी नेता यासीन मलिक ने गद्दाफी की मौत को कश्मीर के लिए बड़ा नुकसान बताया है.

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तस्वीर: AP

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक ने बयान जारी कर गद्दाफी के लिए कहा, "उनकी मौत से कश्मीर के लोगों ने अपना दोस्त खो दिया है." सितंबर 2009 में मुअम्मर अली गद्दाफी ने संयुक्त राष्ट्र में एक लंबा भाषण देकर भारत को नाराज कर दिया था. हालांकि इसी भाषण ने भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों के दिल में उनके लिए जगह बना दी.

Moammar Gaddhafi
तस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में करीब एक घंटे 35 मिनट लंबे भाषण में गद्दाफी ने जॉन एफ केनेडी की हत्या से लिकर स्वाइन फ्लू और कश्मीर की आजादी के मुद्दे पर बात की. गद्दाफी ने कश्मीर के बारे में कहा, "कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र होना चाहिए. ना तो हिंदुस्तानी ना पाकिस्तानी. हमें कश्मीर समस्या को खत्म करना चाहिए." कश्मीर के सभी अखबारों ने मलिक के बयान को खूब जगह दी है.

यासीन मलिक ने कहा, "हालांकि वह एक तानाशाह थे, लेकिन एक बहादुर इंसान थे. उन्होंने कश्मीर की आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र और दूसरे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज बुलंद की." गद्दाफी की अमानवीय हत्या की निंदा करते हुए यासीन मलिक ने कहा, "चाहे गद्दाफी हों या कोई और, हिरासत में किसी इंसान की हत्या करना एक आतंकवादी कार्रवाई है और अगर दुनिया में इसे आकर्षक बना कर पेश किये जाने को मंजूरी दी जाती है तो दुनिया में असली शांति बहुत दूर का सपना होगा. इस तरह की हरकत केवल नफरत, दुश्मनी और दुनिया में अस्थिरता को जन्म देगी."

बेपरवाह लीबियाई लोग

दुनिया भर में गद्दाफी की हत्या और उसके बाद की परिस्थितियों पर चर्चा छिड़ी है. गद्दाफी को गिरफ्तार करने के बाद अमानवीय रूप से मारे जाने की काफी निंदा भी हो रही है. लेकिन लीबीयाई जनता को इससे अब बहुत ज्यादा सरोकार नहीं रह गया है. गद्दाफी का शव देखने के लिए जरूर बहुत संख्या में लोग आ रहे हैं लेकिन उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा कि गद्दाफी को हिरासत में लेकर मारा गया है. उनका कहना है कि अगर गद्दाफी जिंदा रहते तो अपने समर्थकों के साथ मिल कर लीबिया की नई सरकार की राह में बाधा खड़ी करते रहते. यहां तक कि अगर अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में उन्हें दोषी मान भी लिया जाता तो बस कुछ सालों की ही सजा होती.

गद्दाफी गुरुवार को सिर्ते में पकड़े गए. 42 साल तक लीबिया पर राज करने वाले गद्दाफी को गुस्साई भीड़ ने बड़ी बेरहमी से मार डाला. विडियो फुटेज में यह साफ नजर आया है कि खून से लथपथ और घायल गद्दाफी अपनी जान बख्श देने के लिए लोगों से आग्रह कर रहे थे लेकिन किसी ने उन पर रहम नहीं दिखाया.

यह पूछे जाने पर कि क्या गद्दाफी को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए था, पेशे से पायलट अब्दुल लतीफ कहते हैं, "वह उन मांओं से क्या कहते जिनके बच्चों को मार दिया गया या जिनकी बेटियों के साथ बलात्कार हुआ. अगर वह जिंदा रहे और उसे हजार बार मार दिया जाए तो भी यह बहुत छोटी बात ही होगी. अगर आप उसे अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के हवाले करते तो वह स्विट्जरलैंड में पूरे ऐश ओ आराम के साथ रहता और उसके बाद शायद उसे 10 साल के कैद की सजा होती. इसलिए यह अच्छा हुआ कि उसे मार दिया गया."

जांच की मांग

गद्दाफी की मौत के दृश्यों को देख कर दुनिया भर में हलचल मची है. संयुक्त राष्ट्र ने इस बारे में जांच करने की मांग की है कि गद्दाफी की मौत कैसे हुई. लीबियाई अधिकारियों से संयुक्त राष्ट्र ने एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराने की मांग की है और यह पता लगाने को कहा है कि हुआ क्या है. गद्दाफी के शव को कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है और उन्हें देखने के लिए कतार में खड़े दर्जनों लोगों में कोई भी ऐसा नहीं मिला जिसे संयुक्त राष्ट्र की इस चिंता में कोई दिलचस्पी हो.

मोहम्मद नाम के एक अन्य पायलट ने कहा, "अच्छा होता अगर उसे फांसी दी जाती. जानते हैं क्यों, क्योंकि अभी भी उसके कुछ मददगार हैं और वे हमें मारना जारी रखेंगे." मिसराता के लोग खासतौर से इसलिए भी गद्दाफी से नाराज हैं क्योंकि गद्दाफी विरोधी अभियान में उन्हें बहुत कुछ सहना पड़ा है. महीनों तक शहर एक तरह से बंधक बना रहा. यहां तक कि अस्पताल और दूसरी इमारतों पर टैंक से गोलाबारी की गई. स्थानीय नागरिक हसन अल सेतिनी कहते हैं, "अगर उसे अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के हवाले किया जाता तो मुमकिन है कि उसके वकील उसे बिना किसी सजा के ही छुड़ा लेते."

इन सब बातों के बीच गद्दाफी का शव देखने आने वाले लोगों की कतार लगी हुई है. एनटीसी के अधिकारियों ने पहले खुले पड़े शव को अब कंबल से ढक दिया है ताकि उनके जख्म न दिखें. सिर को भी इस तरह से घुमा दिया गया है कि गोलियों का जख्म छुप जाए. शव की हालत अब बिगड़ने लगी है और देखने आने वाले लोगों को अब सर्जिकल मास्क दिए जा रहे हैं.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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