गद्दाफी के अड़ियल रुख से दुनिया भर में नाराजगी बढ़ी
२३ फ़रवरी २०११लगातार बढ़ रही अनिश्चितता के बीच 41 साल से लीबिया पर राज कर रहे नेता मोअम्मर गद्दाफी ने मरते दम तक संघर्ष करने की बात कही और यह भी चेतावनी दी कि विरोध कर रहे तिलचट्टों को मसल डालेंगे. इसके बाद से लीबिया में सुरक्षा चिंता बढ़ गई है. लोग देश छोड़ कर यूरोपीय देशों में और ट्यूनीशिया की ओर भाग रहे हैं. ट्यूनीशिया पहले से ही राजनीतिक संकट का शिकार है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस बीच लीबिया के संकट को देखते हुए अपना विदेश दौरा बीच में ही रद्द कर दिया और न्यू यॉर्क लौट आए. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की है कि वह लीबिया में सुचारू ढंग से सत्ता परिवर्तन के प्रयास करे. अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति इस मुद्दे पर शुक्रवार को विशेष बैठक करेगी.
यूएन में मानवाधिकार मामलों के जानकारों ने लीबिया पर इलजाम लगाया है कि वह अपने ही लोगों का नरसंहार कर रहा है और मानवाधिकार समिति का कहना है कि असैनिकों की हत्या मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में जुड़ सकता है.
सुरक्षा परिषद की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जब एक दिन पहले ही लीबिया के नेता 69 साल के मोअम्मर गद्दाफी ने टेलीविजन पर जारी संदेश में कहा कि चूहों और तिलचट्टों को घर से निकाल निकाल कर मारा जाएगा.
इस बीच यूरोपीय संघ ने भी लीबिया के खिलाफ आवाज बुलंद की है. संघ के प्रेसीडेंट हर्मन फॉन रोम्पाय ने लीबिया में चल रही हिंसा को अक्षम्य अपराध बताया है और कहा है कि इसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा, "मैंने स्वीकार न करने योग्य अपराध देखे हैं. इनका फल जरूर मिलना चाहिए. मैं लीबिया में चल रही हिंसा की निंदा करता हूं. मैं अपील करता हूं कि वहां फौजों की कार्रवाई फौरन बंद हो."
मैड्रिड में स्पेन की विदेश मंत्री ट्रिनिडाड खिमिनेज ने कहा कि जो नेता अपने ही नागरिकों पर बम बरसा रहा है, उसे सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि लीबिया में जो कुछ हो रहा है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
अफ्रीकी महाद्वीप में ट्यूनीशिया और मिस्र के प्रमुखों की सत्ता जाने के बाद लीबिया में भी वैसे ही हालात पैदा हुए हैं, जहां बरसों से राज कर रहे मोअम्मर गद्दाफी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. लेकिन गद्दाफी ने लोगों के विद्रोह को शक्तिपूर्वक कुचलने का फैसला किया. लीबिया की खबरें आम तौर पर बाहर नहीं आ पा रही हैं. रिपोर्टें हैं कि कई इलाके गद्दाफी के नियंत्रण से निकल गए हैं.
इस बीच, यूरोपीय देशों में उन लोगों को लेकर चिंता बढ़ गई है, जो अफ्रीकी देशों में उपज रही अस्थिरता के बाद देश छोड़ कर भाग रहे हैं. इटली में ट्यूनीशिया के कई लोग पहुंच गए हैं, जबकि आशंका है कि लीबिया से भागने वालों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है. लीबिया में तेल का भी बड़ा भंडार है. मध्य पूर्व में संकट बढ़ने के साथ कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ती जा रही हैं. इसका यूरोप, एशिया और अमेरिकी शेयर बाजार पर भी असर पड़ रहा है.
रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल
संपादनः एमजी