गद्दाफी बाद लीबिया में लौटने की ताक में यहूदी
२ अक्टूबर २०११मलबे में बदल चुके इमारत के हिस्सों से होकर जाने के बाद अंदर झांकें तो अर्धचंद्राकार आकृति वाली पवित्र तोराह रखने की जगह पुराने गद्दों से भरी नजर आती है. इसके ऊपर हिब्रू में खुदे हियर ओ इस्राएल को पढ़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. फर्श पर हर तरफ पेंट के खाली डिब्बे बिखरे हैं. शुद्ध करने के रिवाज के लिए बना मिक्वे बाथ अब कचरे का ढेर है और यहां खाने की तलाश में घूम रही आवारा बिल्लियां एक पुरानी वाशिंग मशीन के पीछे से किसी पर्दानशीं औरत की तरह झांकती हैं.
निर्वासित लीबियाई यहूदी डेविड गर्बी बताते हैं कि इस सिनोगॉग को फिर से खड़ा करने का सपना उन्होंने 10 साल पहले देखा था. तब न्यूयॉर्क के ट्विन टावरों से उठते धुएं ने उनके लीबियाई बचपन की सबसे मजबूत यादों को फिर से जिंदा कर दिया था. 12 साल के गर्बी और उनका परिवार त्रिपोली से 1967 में भाग आया. अरब और इस्राएल के बीच की लड़ाई ने यहूदी राष्ट्र के प्रति गुस्सा भड़का दिया था और गर्बी के पड़ोसी यहूदियों पर भी हमले होने लगे थे.
दो साल बाद कर्नल गद्दाफी ने लीबिया में रह रहे 38 हजार यहूदियों को यहां से निकल जाने का आदेश दिया और उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली. त्रिपोली के ज्यादातर सिनेगॉग (यहूदी प्रार्थनाघर) या तो ध्वस्त या फिर मस्जिदों में तब्दील कर दिए गए. यहूदियों के कब्रिस्तानों को खोद कर तटवर्ती इलाके में बने दफ्तरों के लिए रास्ता बनाया गया. गर्बी बताते हैं कि वह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटाने के लिए हुए विद्रोह के बाद लीबिया में लौटने वाले पहले यहूदी हैं. वह बताते हैं कि वह यह सब इसलिए जानते हैं कि क्योंकि उन्होने 2002 में अपनी बूढ़ी आंटी को यहां से निकालने के लिए बातचीत की थी. उनकी बूढ़ी आंटी परिवार के खजाने की रक्षा के लिए यहीं रह गईं थी.
अब जब गद्दाफी सत्ता से बाहर हो चुके हैं तब गर्बी अंतरिम सरकार की मदद से अपने बचपन के लीबिया को जिंदा करना चाहते हैं जहां यहूदियों और मुस्लिमों के बीच सद्भाव हो. गर्बी की इच्छा है कि दार बिशी सिनेगॉग यहूदी और मुस्लिम लीबियाइयों के बीच समझौते का प्रतीक बने. रॉयटर्स से बातचीत में गर्बी ने कहा, "किसी ने मुझसे कहा कि अब यह मान लेने की जरूरत है कि सिनेगॉग खत्म हो चुका है लेकिन मैंने कहा नहीं, यह हमारी दुकान है यह हमारा सिनेगॉग है यह खत्म नहीं हुआ है. कुछ है जो हल नहीं हुआ, पूरा नहीं हुआ. यही वजह है कि मैं यहा हूं."
विद्रोही यहूदी
पेशे से मनोचिकित्सक गर्बी इटली में रहते हैं और वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ऑफ लीबियन ज्यूज के प्रतिनिधि हैं. आई लव लीबिया लिखी लाल रंग की टीशर्ट पहने त्रिपोली के होटल की लॉबी में वह सत्ताधारी नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल यानी एनटीसी के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित करने की कोशिश में हैं. इन बैठकों का मकसद गद्दाफी के बाद की लीबिया में यहूदियों के लिए संभावनाएं तलाशना है.
गद्दाफी के खिलाफ विद्रोह शुरू होने के बाद से ही गर्बी एनटीसी अधिकारियों के साथ मिल कर दक्षिण अफ्रीका में अपने मकसद को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं. अगस्त के आखिरी हफ्तों में दक्षिण अफ्रीका ने एनटीसी को मान्यता दे दी और बेनगाजी के अस्पतालों में जंग के पीड़ितों के इलाज में सहायता दी जाने लगी. गर्व से मुस्कुराते हुए गर्बी कहते हैं, "लोग मुझे विद्रोही यहूदी कहते हैं." विद्रोहियों की मदद जोखिम से खाली नहीं थी. वह बताते हैं कि गद्दाफी समर्थकों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और इसी साल उनके होटल के कमरे में जबर्दस्ती घुसने की कोशिश भी हो चुकी है. 2007 में वह जब लीबिया आए और सिनोगॉग के मरम्मत की बात की तो गद्दाफी सरकार ने उन्हें हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की थी.
गर्बी बताते हैं कि वह लीबिया की एनटीसी का सदस्य बनने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि लीबिया में अस्तित्व से बाहर हो चुके यहूदियों को प्रतिनिधित्व मिल सके. इस बारे में एनटीसी के प्रवक्ता से बात करने की कोशिश की गई तो उसने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. यहूदियों का फिर से यहां लौटना और गर्बी जैसे लोगों का एनटीसी में शामिल होना एक संवेदनशील मुद्दा है. मुस्लिम राष्ट्र लीबिया के पूर्व शासक गद्दाफी ने दशकों तक अंतरराष्ट्रीय मंचों से खुले तौर इस्राएल की जम कर आलोचना की है. पिछले साल एक इस्राएली फोटोग्राफर को जासूसी करने के शक के आधार पर पांच महीनों तक पकड़ कर रखा गया.
भूल बिसरे लोग
लीबिया लौटने का जितना उत्साह गर्बी के मन में हैं उतना ही बाकी यहूदियों के मन में भी हो ऐसा नहीं है. यहां तक कि गर्बी के परिवार में भी कई लोग उनकी योजना का विरोध कर रहे हैं. गर्बी बताते हैं, "एनटीसी चेयरमैन मुस्तफा अब्देल जलील मेरी प्रेरणा हैं क्योंकि वही सबसे पहले असहमति जता कर गद्दाफी के खिलाफ गए थे. मैं भी अपने समुदाय से कट रहा हूं. मैं उन्हें दिखाना चाहता हूं कि यह मुमकिन है और हम यहां लौट सकते हैं." मुस्तफा जलील ने फरवरी में विद्रोह शुरू होने से पहले ही गद्दाफी से किनारा कर लिया था.
गर्बी का एक उद्देश्य सरकार से जब्त हुई संपत्तियों को छुड़ाना भी है. इन संपत्तियों में उनके परिवार का वह शानदार अपार्टमेंट भी है जो कभी गैलेरिया दे बोनो के नाम से जाना जाता था. यह कहना मुश्किल है कि गर्बी के लक्ष्यों को लीबियाई लोग किस तरह से देखते हैं. अगर कुछ और यहूदी यहां लौटे तो वे भी अपनी पुरानी संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं.
गर्बी को चिंता हे कि उनकी इच्छा कहीं सरकार के सामने मौजूद चुनौतियों की बोझ के नीचे न दब जाए. जंग से जूझते देश की सरकार पर फिलहाल अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा और पुनर्निर्माण के लिए जबर्दस्त दबाव है.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ एन रंजन
संपादनः वी कुमार