गर्भावस्था में सेलफोन से बच्चों पर असर
८ दिसम्बर २०१०यह रिपोर्ट जिसके आने के बाद सेल फोनों की सुरक्षा पर फिर से विवाद शुरू होने की संभावना है, यह नहीं दिखाती कि सेल फोन के इस्तेमाल से व्यवहार में समस्या हो सकती है. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके नतीजों को देखा जाना चाहिए. लॉस एंजेलस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में महामारी विभाग में काम करने वाली डा. लीका खैफेट्स का कहना है, "यह समझना मुश्किल है कि इतना कम एक्सपोजर किस तरह से प्रभावकारी हो सकता है."
खैफेट्स और उनकी टीम ने सात साल के 28000 बच्चों और उनकी मांओं के बारे में डाटा देखा है जिन्होंने डेनमार्क के एक अध्ययन में भाग लिया था जिसमें 1996 से 2002 के बीच एक लाख महिलाओं का सर्वे किया था. करीब 3 फीसदी बच्चों की मांओं ने कहा कि उनमें बोर्डरलाइन आचरण संबंधी समस्याएं थीं जबकि 3 फीसदी ने अनुशासन, और संवेदना जैसा असामान्य आचरण दिखाया.
शोधकर्ताओं ने एपीडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ जरनल में लिखा है कि जिन बच्चों की मां गर्भावस्था के दौरान मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल करती थीं या जिन्होंने खुद फोन का इस्तेमाल किया उनमें आचरण की समस्या की 50 फीसदी अधिक संभावना थी.
कुछ विशेषज्ञों ने खैफेट्स की टीम की शोध के नतीजों पर सवाल उठाए हैं. ब्रिटेन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डेविड श्पीगेलहाल्टर ने कहा है, "मुझे इन नतीजों पर संदेह है, हालांकि उन्हें बहुत प्रचार मिलेगा." अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने रिपोर्ट पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है. मोबाइल फोन उद्योग से जुड़े जॉन वाल्स ने टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा है, "हम इन रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं करते क्योंकि इनमें हमारी विशेषज्ञता नहीं है."
दुनिया भर में 5 अरब मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिकी कैंसर सोसायटी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने सेलफोन से स्वास्थ्य को पहुंचने वाले नुकसान का कोई सबूत नहीं पाया है. पिछली मई में 13 हजार सेलफोन यूजरों का 10 साल तक अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं को भी इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिला कि सेलफोन के उपयोग से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अप्रैल में शोधकर्ताओं ने सेल फोन और स्वास्थ्य के बीच संबंधों पर अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की शुरुआत की है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा एम