गूगल के दबदबे पर चिंता
३१ जनवरी २०११चोटी का इंटरनेट उद्यम बनने की दौड़ में लंबे समय तक लोगों की सहानुभूति ने गूगल का साथ दिया है. लोकिन गोएटिंगेन में कानून के प्रोफेसर टॉर्स्टेन कोएर्बर कहते हैं, "इस सकारात्मक छवि को पिछले दिनों में गहरी खरोंच लगी है." आम लोगों के बीच गूगल की छवि खराब हुई ही है, एंटी ट्रस्ट अधिकारियों ने भी गूगल पर नजर रखना शुरू कर दिया है.
गोएटिंगेन की कांफ्रेंस में सूचना की आजादी और जानकारी की सत्ता के बीच सर्च इंजनों की भूमिका पर चर्चा हुई. कोएर्बर का कहना है कि जर्मन प्रतिस्पर्धा कानून कंपनी के बड़ा होने पर रोक नहीं लगाता, न ही यूरोपीय कानून ताकतवर होने की सजा देता है. लेकिन पिछले साल माइक्रोसॉफ्ट के चिआओ जैसे प्रतिस्पर्धियों ने अधिकारियों से पोर्टल गूगल की शिकायत की.
यूरोपीय आयोग की जांच का एक पहलू यह आरोप है कि गूगल खोज के परिणामों के साथ इस तरह छेड़ छाड़ करता है कि प्रतिस्पर्धियों की पेशकश सूची में उपर नहीं आती.
दबदबे से इनकार
गूगल इस बात से इनकार करता है कि वह बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग कर रहा है. यूरोपीय आयोग से चल रही बातचीत में गूगल की वकील यूलिया होल्त्स कहती हैं, "हर किसी की नई खोज के दबाव का मतलब है कि हमारा बाजार वर्चस्व नहीं है." होल्त्स का कहना है कि गूगल प्रतिस्पर्धियों की ओर से भारी दबाव में है.
गूगल का टॉप सीक्रेट पेज रैंकिंग अलगोरिथ्म वह प्रक्रिया है जो उन वेबपेजों का चयन करती है जो यूजर के लिए प्रासंगिक होंगे और उन्हें सूची में सबसे ऊपर रखती है. हनोवर में स्थित एक सर्च इंजन प्रयोगशाला के प्रमुख वोल्फगांग जांडर-बॉयरमन कहते हैं, "सर्च कंपनी यह फैसला करती है कि सूची में अच्छा और खराब पेज कौन सा है." यही सर्च कंपनियों को असली ताकत देता है यहीं हेरा फेरी की संभावना होती है.
विजेता का बाजार
वोल्फगांग जांडर-बॉयरमन का कहना है कि गूगल के खिलाफ एक प्रतिस्पर्धी को स्थापित करने के लिए पांच अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. और यदि यह प्रयास विफल हो जाता है तो पूरा निवेश बर्बाद हो जाएगा. अर्थशास्त्री इसे विजेता का बाजार कहते हैं जिसमें विजेता सब कुछ ले जाता है और प्रतिस्पर्धियों के पास बहुत मौका नहीं होता.
जर्मनी में 90 फीसदी से अधिक इंटरनेट सर्च गूगल के जरिए होता है जो दूसरे सर्च इंजनों के लिए भी प्रवोइडर का काम करता है. याहू और माइक्रोसॉफ्ट बिंग उसके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं लेकिन बाजार में उनका हिस्सा सिर्फ 3 फीसदी है. गोएटिंगेन की अर्थशास्त्री प्रो. क्लाउडिया केजर का कहना है, "एक लगभग मोनोपोलिस्ट के रूप में गूगल के करीब पहुंचना और मुश्किल होता जाएगा."
जर्मन प्रांत श्लेषविष होलस्टाइन के प्राइवेसी कमिश्नर थीलो वाइषर्ट की शिकायत है कि गूगल यह नहीं बताता कि वह किन जानकारियों को जमा कर रहा है. प्राइवेसी कमिश्नरों की चिंता यह कि गूगल अपनी जानकारियों को जोड़कर लोगों का प्रोफाइल तैयार कर सकता है. लेकिन कोएर्बर का कहना है कि लोग इस बात से संतोष कर सकते हैं, इंटरनेट में किसी कंपनी का इस तरह का लाभ नई तकनीक आने के बाद तुरंत समाप्त हो सकता है. पिछले दिनों में सोशल नेटवर्किंग में तेजी ने फेसबुक का भाव बढ़ा दिया है और सर्च इंजनों पर दबाव बढ़ा दिया है.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ओ सिंह