गूगल, फेसबुक पर भारत में कानूनी शिकंजा
१३ जनवरी २०१२सरकार ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि 21 सोशल वेबसाइट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. इसमें याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी वेबसाइटों पर आरोप लगाए गए हैं कि वह भारत के अंदर राष्ट्रीय एकता को खंडित करने और अलग अलग वर्गों में बंटवारा करने की कोशिश कर रहा है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार की अदालत में सरकार ने बयान देकर कहा, "पाबंदी लगाने वाले अधिकारी ने निजी तौर पर सभी दस्तावेजों और रिकॉर्डों की जांच की है. वह इस बात से संतुष्ट है कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए, 153-बी और 295-ए के तहत कार्रवाई की जा सके."
अदालत ने भारत के विदेश मंत्रालय को पिछले महीने निर्देश दिया था कि वह दस से ज्यादा विदेशी कंपनियों को समन पहुंचाए. समन 23 दिसंबर को जारी तो किए गए लेकिन उन पर तामील नहीं हुई. इसके बाद ही सरकार ने अपना पक्ष अदालत के सामने रखा है. अदालत ने 23 दिसंबर को 21 इंटरनेट वेबसाइटों को समन जारी किया था, जिन पर आपराधिक और युवाओं के बीच अश्लील सामग्री पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं.
इसके बाद सरकार ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें कहा गया है कि इन वेबसाइटों की सामग्री भड़काऊ हैं और राष्ट्रीय अखंडता पर हमला है. सरकार ने बताया है कि इस सिलसिले में गूगल, फेसबुक, याहू और माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिनिधियों के साथ चार बार बैठक की जा चुकी है. इसमें कहा गया, "उन्हें बता दिया गया है कि उनकी वेबसाइट और सर्च इंजन पर आपत्तिजनक चीजें मिल रही हैं. उन्हें इन आपत्तिजनक चीजों को दिखा भी दिया गया और कहा गया कि अवमानना वाली चीजें वे जनहित और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए अपनी वेबसाइट से हटा दें."
अब इस मामले पर अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 13 मार्च को रखी है और आरोपियों से कहा है कि उन्हें निजी तौर पर हाजिर होना होगा. मजिस्ट्रेट ने कहा, "आरोपियों को सिर्फ आज की कार्रवाई से छूट मिली हुई थी. अगली कार्रवाई में उन्हें अदालत में हाजिर होना होगा."
भारत के पत्रकार विनय राय द्वारा दायर इस केस में फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों ने अदालत से गुजारिश की कि इस मामले को मुलतवी कर दिया जाए क्योंकि इससे जुड़ा मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चल रहा है. इस मामले में कुछ कंपनियों ने ऊपरी अदालत जाने का फैसला किया है.
रिपोर्टः एएफपी, पीटीआई/ए जमाल
संपादनः महेश झा