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गैंगरेप में नाबालिग आरोपी की सुनवाई

६ मार्च २०१३

दिल्ली गैंगरेप में 17 साल के आरोपी के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ. नाबालिग होने के कारण मुकदमा बाल अदालत में चल रहा है. लोगों को आशंका है कि उम्र के कारण आरोपी सजा के दायरे से बाहर हो सकता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पुलिस के मुताबिक 17 साल के इस युवक और उसके पांच दोस्तों ने एक बस में 23 साल की निर्भया का बलात्कार किया. पुलिस ने हत्या का आरोप भी लगाया है. 16 दिसंबर को हुई वारदात में पीड़िता को गंभीर चोटें आईं. करीब दो हफ्ते बाद सिंगापुर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

बुधवार को नई दिल्ली में नाबालिग जस्टिस बोर्ड की कार्रवाई के बाद आरोपी वकील ने कहा कि युवक अदालत में सुनवाई के दौरान शांत रहा. सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च है. वकील के मुताबिक सुनवाई के खत्म होने में दो तीन महीने लग जाएंगे. उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया ने जिस मैजिस्ट्रेट को अपना बयान दिया था, वह अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाह के रूप में शामिल हुए.

Prozessauftakt gegen mutmaßliche Vergewaltiger in Indien am 21.01.2013
वयस्क आरोपियों में से एक के वकील वीके आनंदतस्वीर: AP

17 साल के इस युवक के खिलाफ उसके पांच और सहयोगियों की तरह ही 13 आरोप दर्ज हैं. इनमें बलात्कार, चोरी और हत्या शामिल हैं. युवक खुद को बेकसूर बता रहा है. अगर उसे दोषी पाया जाता है तो बाल कानून के तहत उसे ज्यादा से ज्यादा तीन साल तक की सजा मिल सकती है. उसके सहयोगियों की सुनवाई आम अदालत में हो रही है और उन्हें इस जुर्म के लिए मौत की सजा भी मिल सकती है.

हालांकि 17 साल के युवक की बाल अदालत में सुनवाई ज्यादातर सामाजिक कार्यकर्ताओं को हजम नहीं हो रही. यहां तक कि पुलिस अधिकारियों और नेताओं ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि कानून को बदला जाए ताकि 16 से लेकर 18 साल तक के युवकों पर भी वयस्क कानून लागू हो सकें.

लेकिन सरकार का कहना है कि भारत के बाल कानूनों को पिछले दशक में बदला गया है और वे संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों के अनुकूल हैं. 17 साल के आरोपी को इस वक्त हिंसक आरोपियों के लिए बनाए बाल कारागार में अलग से रखा जा रहा है ताकि वह खुद अपनी जान के लिए खतरा न बने.

मामले में बाकी आरोपियों की सुनवाई एक फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो रही है.

रिपोर्टः एमजी/ओएसजे (रॉयटर्स, पीटीआई)

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