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ग्रीस के चुनाव पर टिका यूरो का भाग्य

१७ जून २०१२

ग्रीस में आज ऐतिहासिक चुनाव इस बात का फैसला करेंगे कि क्या भविष्य में भी देश यूरोजोन में ही बना रहेगा या नहीं. ओपीनियन पोल के अनुसार वामपंथी पार्टी सीरिजा की रूढ़िवादी न्यू डेमोक्रेसी पार्टी के साथ कांटे की टक्कर है.

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तस्वीर: dapd

जानकारों का मानना है कि दोनों में से कोई भी पार्टी बहुमत से चुनाव नहीं जीत पाएगी और सरकार बनाने के लिए उन्हें गठबंधन बनाना पडेगा. इस से पहले 6 मई को ग्रीस में एक बार चुनाव हो चुके हैं. तब सीरिजा 17 प्रतिशत वोटों से दूसरे नंबर पर रही. न्यू डेमोक्रेसी को सबसे अधिक वोट मिले लेकिन वह गठबंधन बनाने में विफल रही. यदि इस बार भी ऐसा ही होता है तो देश को एक बार फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा.

बेलआउट पर सवाल

सीरिजा के नेता एलेक्सिस त्सिप्रास ने कहा है कि पार्टी यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा तय किए गए बेलआउट समझौते के खिलाफ है. त्सिप्रास ने कहा है कि वह यूरोजोन में रहते हुए ग्रीस के लिए एक नई योजना तैयार करना चाहते हैं ताकि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके. कुछ सर्वेक्षण बताते हैं कि ग्रीस की अस्सी प्रतिशत आबादी यूरोजोन में रहते हुए ही ग्रीस की समस्या का समाधान चाहती है.

Antonis Samaras beim letzten Wahlkundgebung am 15.06.2012
न्यू डेमोक्रेसी के नेता आंटोनियोस समारासतस्वीर: dapd

एथेंस में अपना वोट डालने से पहले उन्होंने कहा, "आज हम उम्मीदों का नया रास्ता खोल रहे हैं, आज हम एक बेहतर भविष्य का रास्ता खोल रहे हैं." वहीं दूसरी ओर न्यू डेमोक्रेसी के नेता आंटोनिस समारास का कहना है कि वह बेलआउट समझौते में बदलाव की पेशकश करेंगे. समारास का कहना है कि ग्रीस के लिए यूरोजोन में बने रहना बेहद जरूरी है. हालांकि बेलआउट समझौते में बदलाव का मतलब यह भी हो सकता है कि ग्रीस को मदद की राशि मिलना ही बंद हो जाए. ऐसे में ग्रीस दिवालिया घोषित हो सकता है और उसे यूरोजोन से अलग किया जा सकता है.

मैर्केल की अपील

ग्रीस पांच साल से आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में खुदकुशी के मामले तेजी से बढे हैं, बेरोजगारी दर सभी रिकॉर्ड पार कर 22 प्रतिशत पर पहुंच गई है. कई हजार कारखाने बंद हो चुके हैं और अस्पतालों में भी मूलभूत सुविधाओं की कमी देखी जा रही है.

Griechenland Syriza Alexis Tsipras
सीरिजा के नेता एलेक्सिस त्सिप्रासतस्वीर: Reuters

ऐसे में इन चुनावों से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी सरकार चुनें जो ग्रीस को संकट से निकाल सके. जर्मनी को ले कर ग्रीस के लोगों में मिली जुली प्रतिक्रिया है. जहां एक तरफ जर्मनी ग्रीस को मदद की राशि मुहैया करा रहा है वहीं दूसरी ओर एक मतदाता ने जर्मनी पर गुस्सा दिखाते हुए कहा, "हमें आलसी कहना बंद करो, यहां आ कर देखो कि हम कितनी मेहनत से काम करते हैं."

ग्रीस में सरकार बनाने के लिए संसद की कुल 300 सीटों में से 151 सीटों की जरूरत होती है. जिस भी पार्टी को सबसे अधित मत मिलते हैं उसे संसद में अतिरिक्त 50 सीटें मिल जाती जाती हैं.

आईबी,एएम (डीपीए,एएफपी)

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