चलते फिरते बार पर कॉफी का मजा
९ अगस्त २०११वे जर्मन राज्य लोअर सेक्सनी के ओस्नाब्र्यूक शहर में रहते हैं. टोबियास कहते हैं, "ये हमारी कॉफी बाइक है. इस तरह का कॉन्सेप्ट हमने 2009 में छुट्टियों के दौरान डेनमार्क में देखा. और हमें अच्छा लगा. हमने सोचा कि ऐसी शानदार चीज डेनमार्क में चल सकती है तो जर्मनी में क्यों नहीं. तभी इसे करने के बारे में सोचा. और कर लिया."
ये तो सस्पेंस
कॉफी बाइक में पेशवर हैंड लीवर एस्प्रेसो कॉफी मशीन लगी है. बस इसमें कॉफी बीन्स डालनी होती हैं. टोबियास और यान हैम्बर्ग की फैक्ट्री में तैयार किए कॉफी बीन्स लेते हैं. उनकी बाइक की कॉफी लोगों को बहुत पसंद आ रही है. एक बुजुर्ग का कहना है, "हम एकदम रुके और सोचा कि क्यों न यहां कॉफी पी जाए. और पता था स्वाद अच्छा होगा. यह बढ़िया है. " पास ही खड़ी एक महिला कहती है, "मैं कॉफी की शौकीन हूं. यह अच्छा है."
कॉफी बार एक कार्गो बाइक से बना है जो 220 किलो वजन ले जा सकती है. लकड़ी से बना इसका ऊपरी हिस्सा भी ध्यान खींचता है. कॉफी बाइक की खासियत यह है कि इसमें बाहर से पानी और बिजली की जरूरत नहीं होती. टोबियास बताते हैं, "आप देखें तो यह बहुत साफ है. यहीं एक पानी का टैंक भी है. एक तरफ साफ पानी और दूसरी तरफ गंदा. और यहां बेशक कई तरह की तकनीकें, जिनसे यह सब संभव होता है. बाकी कॉफी मशीनों की तरह इसमें बाहर से पानी या बिजली कनेक्शन की जरूरत नहीं है. इसे बनाने में महीनों लगे. कैसे बनाया, यह संस्पेंस है."
सूट बूट का मलाल नहीं
ओस्नाब्रयुक में टोबियास के माता पिता के घर में गैरेज है. वहीं इन दोनों स्कूली दोस्तों ने पहली कॉफी बाइक की कोशिश की. चौथी कोशिश रंग लाई. लेकिन यह काम उनके पिता, दोस्तों और कुछ कारीगरों के बिना मुमकिन नहीं था. क्योंकि उन्हें बिजनेस में डिग्री के दौरान यह काम तो सिखाया नहीं गया था. उनके साथी अभी भी अपनी पढ़ाई के हिसाब से सूट बूट वाला काम ही कर रहे हैं. जिनसे वे मिलते भी हैं.
यान बताते हैं, "जब रविवार को साथ बैठ कर बीयर पीते हैं तो कोई कुटिल मुस्कान के साथ कहता हैं कि कल सूट बूट में लंदन जाना है. मैं कहता हूं कि देखो मैं तो गैराज में रहूंगा. थोड़ा सा फनी लगता है. लेकिन हां, ज्यादा समय नहीं लगेगा कि और लोग साथ जुड़ जाएंगे."
बड़े इरादे
ओस्नाब्रयुक के औद्योगिक पार्क के पास यान ज़ांडर और टोबियास जिमर ने अपने ऑफिस के लिए कमरा लिया है. 25 साल के दोनों दोस्त एक कंपनी बनाना चाहते हैं जिसकी दुनिया भर में फ्रैंचाइजी हों. अमेरिका, चीन और यूरोप भर से कुछ ऑफर हैं. पर जर्मनी में ही इस तरह की कॉफी बेचने की अनुमति लेना सबसे बड़ी अड़चन है.
टोबियास बताते हैं, "यहां जर्मनी में हर चीज के पीछे अफसरशाही बहुत है. पिछले महीनों में यह सबसे बड़ा सबक हमने सीखा है. रास्ते में भले कितनी रुकावटें आएं, हमे आगे बढ़ते जाना है. नौकरियां पैदा करनी हैं और बड़ा बनना है."
अभी ओस्नाब्र्युक और हनोवर में इनका यह काम चलता है. वहीं इन्होंने पहिए रखे हैं और बैटरी भी चार्ज करते हैं. चार्जिंग के बाद मोबाइल कॉफी बाइक बिना बाहरी बिजली के दस घंटे तक काम कर सकती है. अब इस काम में यान ज़ांडर और टोबियास जिमर के अलावा 10 लोग और लगे हैं. मकसद हमेशा हर जगह अपनी खास कॉफी पहुंचाना.
रिपोर्टः डीडब्ल्यू/ए कुमार
संपादनः आभा एम