चांसलर बने नहीं, पगार की चिंता
३० दिसम्बर २०१२सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता पेर श्टाइनब्रुक ने कहा, "जरूरी प्रदर्शन के लिहाज से जर्मन चांसलर की उतनी आय नहीं होती, जितनी औरों की. कम जिम्मेदारियों वाली नौकरी करने वाले कई लोग बहुत ज्यादा तनख्वाह लेते हैं." उनका इशारा बैंकों के निदेशकों की तरफ था. उनके गृह राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में बचत बैंकों के निदेशकों को भी चांसलर से ज्यादा तनख्वाह मिलती है.
फ्रैंकफर्ट के एक अखबार को दिए इस बयान के सामने आते ही 65 साल के श्टाइनब्रुएक की आलोचना शुरू हो गई. एसपीडी ने खुद को उनकी राय से दूर रखा है. पार्टी में श्टाइनब्रुक को आगे बढ़ाने वाले पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने भी बयान पर आपत्ति जताई. श्रोएडर ने कहा, "मेरी राय में जर्मनी में नेताओं को वाजिब मेहनताना मिलता है. निश्चित रूप से मैं इस तनख्वाह से जीवन चलाता रहा. और अगर किसी को यह लगता है कि तनख्वाह पर्याप्त नहीं है तो वह दूसरी नौकरी खोज सकता है."
एसपीडी के वरिष्ठ सांसद डिटर विफेलश्पुएट्ज का कहना है कि अगर नेता तनख्वाह की तुलना प्राइवेट नौकरी से करने लगेंगे तो गलत संदेश जाएगा. उन्होंने कहा, "चांसलर के तौर पर काम करना एक आकर्षक नौकरी है और तनख्वाह तो वाकई तंग नहीं है."
जर्मनी में अगले साल सितंबर में चुनाव हैं. श्टाइनब्रुक का सीधा सामना दो बार की चासंलर अंगेला मैर्केल से है. सर्वेक्षणों में मैर्केल को फिलहाल श्टाइनब्रुक पर 10 प्रतिशत की बढ़त है. फिलहाल क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू) की नेता मैर्केल फ्री डेमोक्रैट पार्टी (एफडीपी) के साथ गठबंधन सरकार चला रही हैं. सर्वे के मुताबिक मैर्केल मजबूत हैं लेकिन एफडीपी की दशा दयनीय है. ऐसे में माना जा रहा था कि एसपीडी और ग्रीन पार्टी के अच्छे प्रदर्शन से श्टाइनब्रुक चांसलर बन सकते हैं.
लेकिन श्टाइनब्रुक के बयान ने अपने ही पक्ष में जा रहे समीकरण गड़बड़ा दिए हैं. एसपीडी नेता इस साल पहले भी विवादों में आ चुके हैं. कुछ ही महीने पहले उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में उन्होंने 89 भाषणों के लिए 12.50 लाख यूरो का मेहनताना लिया. इस पर भी खासा विवाद हुआ.
वित्त मंत्री रह चुके श्टाइनब्रुक के पक्ष जो कुछ बातें जा रही थीं वो धीरे धीरे गायब सी हो गई हैं. गृह राज्य में प्रांतीय चुनाव हारने के बावजूद वह बेबाक राय और अनुशासित वित्त मंत्री के तौर पर सुर्खियों में आते रहे.
जर्मनी में 2013 से नेताओं की तनख्वाह बढ़ने जा रही है. चांसलर की तनख्वाह 930 यूरो (करीब 55,000 रुपये) बढ़ेगी और हर महीने उन्हें 17,106 यूरो (लगभग साढ़े 12 लाख रुपये) वेतन मिलेगा. मंत्रियों और सांसदों की तनख्वाह भी बढ़ेगी. इस कदम की भी आलोचना हो चुकी है. आलोचकों के मुताबिक एक ऐसे वक्त में जब सरकारी खर्चों को कम करने की बात हो रही है, तब ये इजाफा ठीक नहीं.
ओएसजे/एजेए (रॉयटर्स)