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चीनी शासन के खिलाफ दसवां आत्मदाह

२६ अक्टूबर २०११

चीन के दक्षिण पश्चिम सिछुआन प्रांत में एक और तिब्बती बौद्ध भिक्षु ने खुद को आग लगा ली. हाल के महीनों में यह इस तरह का दसवां मामला है. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि ये घटनाएं चीनी शासन के विरोध में हो रही हैं.

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तस्वीर: AP

38 वर्षीय दावा त्सेरिंग ने मंगलवार को सिछुआन के गांजी कस्बे में एक बौद्ध मठ में सालाना धार्मिक अनुष्ठान छाम के दौरान खुद पर पेट्रोल डाल कर आग लगा ली. उसने 'दलाई लामा जिंदाबाद' और तिब्बतियों की आजादी की नारे भी लगाए. भारत में स्थित तिब्बतियों की निर्वासित सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई है.

समझा जाता है कि दावा त्सेरिंग को स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया जहां उसकी हालत गंभीर है. इस साल मार्च से यह इस तरह का दसवां और इस महीने पांचवा मामला है. लंदन स्थित फ्री तिब्बत संस्था की निदेशक स्टेफानी ब्रिगडेन ने मंगलवार की घटना पर बयान में कहा कि विरोध प्रदर्शन साफ करते हैं कि 'तिब्बत पर चीन के नियंत्रण को व्यापक रूप से ठुकराया जा रहा है'. फ्री तिब्बत का कहना है कि एक अन्य घटना में रविवार को सिछुआन के सेदा इलाके में थाने के बाहर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने दो तिब्बतियों को गोली मार दी.

अमेरिका की चिंता

चीन सरकार हालिया प्रदर्शनों के लिए विदेश में रहने वाले तिब्बतियों को जिम्मेदार ठहराती है. लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तिब्बतियों के आत्मदाह करने की घटनाओं पर चिंता जताई और कहा कि इन घटनाओं से 'स्पष्ट तौर पर चीन में तिब्बतियों के मानवाधिकार और धार्मिक स्वंत्रता के संबंध में गुस्से और हताशा का पता चलता है.'

Tibetische Mönche helfen nach Erdbeben in China Flash-Galerie
तस्वीर: AP

इसी महीने मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने चीन सरकार से अपील की कि वह बौद्ध मठों पर अत्यधिक पाबंदियों को खत्म करे. 2008 में सिछुआन और तिब्बत के इलाकों में व्यापक चीन विरोधी प्रदर्शनों के बाद सरकार ने ये पाबंदियां लगाईं. तिब्बतियों के सर्वोच्च अध्यात्मिक नेता दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं. उन्हें तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ नाकाम विद्रोह के बाद वहां से भागना पड़ा था.

गांजी और उसके पड़ोसी अबा इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोग तिब्बती हैं और वे खुद को व्यापक तिब्बती क्षेत्र का सदस्य मानते हैं जिसमें आधिकारिक तौर पर चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और पश्चिमी चीन के ऊंचे पहाड़ी इलाके आते हैं.

सुरक्षा सख्त

फ्री तिब्बत का कहना है कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में भी सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जा रही है जबकि वह तिब्बतियों के आत्मदाह वाले इलाके से सैकड़ों किलोमीटर दूर है. चीन सरकार के मुताबिक विरोध करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है लेकिन वे उन क्षेत्रीय नीतियों को अस्थिर कर रहे हैं जिनके कारण तिब्बती गरीबी और गुलामी से निकाल सके हैं. 1950 में चीनी सैनिक तिब्बत में पहुंचे और तभी से वहां उसका शासन है.

BdT Dalai Lama im indischen Exil 50. Jahrestag des Aufstandes der Tibeter
दलाई लामा वर्षों से तिब्बत की स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे हैंतस्वीर: picture-alliance / dpa

चीन मानवाधिकार समूहों और दलाई के आरोपों को खारिज करता है. चीन सरकार आत्मदाह की घटनाओं की विध्वंसकारी और अनैतिक कह कर निंदा करती है. पिछले हफ्ते दलाई लामा ने तिब्बत की 'सार्थक स्वायत्तता' के लिए खुद को कुरबान करने वाले लोगों के लिए प्रार्थना की. इसकी कड़ी आलोचना करते हुए चीन सरकार ने दलाई लामा पर 'एक तरह से आतंकवादियों का साथ' देने का आरोप लगाया. नोबेल शांति पुरस्कार पा चुके दलाई लामा को चीन सरकार एक अलगाववादी के तौर पर देखती हैं. वहीं दलाई लामा हिंसा की वकालत करने से इनकार करते हैं और कहते हैं कि वह तो सिर्फ अपनी मातृभूमि के लिए सच्ची स्वायत्तता चाहते हैं.

रिपोर्ट: डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी/ए कुमार

संपादन: आभा एम

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