चीन की हिंसा में मृतकों की संख्या 18
२० जुलाई २०११इसे साल की सबसे बड़ी हिंसा बताया जा रहा है. सरकारी अधिकारियों ने पहले इस हिंसा को आतंकी हमला बताते हुए चार लोगों के मारे जाने की सूचना दी. लेकिन जर्मनी स्थित वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस का दावा है कि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर किया गया हमला है.
कांग्रेस ने दावा किया है कि इस हिंसा में 20 उइगुर मारे गए हैं. 14 को पीट पीट कर मार दिया गया जबकि छह को गोली मार दी गई. इसके मुताबिक 70 को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और दोनों पक्षों में भिडंत हुई.
साल भर पहले चीन के पश्चिमी इलाके में भारी हिंसा हुई थी. यह इलाका उइगुर बहुल है और शिनचियांग में हान चीनी लोगों की बढ़ती उपस्थिति को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है.
शिनचियांग की प्रांतीय सरकार की वेबसाइट www.xinjiang.gov.cn पर कहा गया है कि पुलिस ने कानूनी सूचना और चेतावनी देने के बाद 14 दंगाइयों को गोली मारी. आगे लिखा गया है कि 18 दंगाइयों ने इस मुठभेड़ से कुछ दिन पहले हथियार खरीदे या बनाए और फिर गोपनीय तरीके से होतान शहर चले गए.
रिपोर्ट ने मुताबिक दंगाई कुल्हाड़ी, चाकू, कटार, देसी बम और विस्फोटक लिए हुए थे. इन लोगों ने पुलिस स्टेशन पर बुरी तरह हमला किया और उसमें आग लगा दी. साथ ही स्टेशन के ऊपर आपत्तिजनक झंडे लगा दिए. रिपोर्ट में कहा गया है, "दो पुलिसकर्मी और दो अपहृत लोगों की इसमें मौत हुई है और चार दंगाइयों को पकड़ा गया. स्थानीय पुलिस राजनीति और कानून से जुड़े विभाग पर यह गंभीर हिंसक आतंकी हमला सुनियोजित था और पहले से सोचा गया था."
निर्वासन में रह रही उइगुर कांग्रेस और सरकार के आंकड़ों में अंतर की निष्पक्ष पुष्टि नहीं हो सकी है. प्रांतीय सरकार की वेबसाइट पर तीन फोटो लगाई गई हैं जिनके बारे में दावा किया गया है वह मौके पर ली गई हैं. एक फोटो में देखा जा सकता है कि आग लगे हुए थाने में पुलिस बंदूक ले कर घुस रही है.
दमन के कारण हालात खराब
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि शिनचियांग में दो साल से भी ज्यादा से कड़ी सुरक्षा है, खासकर प्रांतीय राजधानी उरुमकी में हान चीनी और उइगुर समुदाय के बीच हुई हिंसा के बाद से. इस हिंसा में करीब 200 लोग मारे गए थे.
तब से चीन ने दंगा भड़काने के आरोप में नौ लोगों को फांसी की सजा सुनाई और कई सौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस के दिलशात राशित कहते हैं, "चीन के दमन और कड़े नियंत्रण के कारण स्थिति और खराब हुई है. उइगुर समुदाय के किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए चीन ताकत का इस्तेमाल करता है."
कम्युनिस्ट पार्टी की आवाज समझे जाने वाले अखबार पीपल्स डेली का जाना माना टेब्लॉयड द ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि होतान में इस तरह की घटनाएं पश्चिमी देशों के कहे मुताबिक किसी पतन का कारण नहीं होगा. अंग्रेजी में छपने वाले अखबार में लिखा गया है, "भले ही वे थिनानमन चौक पर हों लेकिन उनसे कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. जो लोग चीन की सामाजिक क्षमता को कम आंकते हैं वह पूरे देश को ही कम आंकते हैं. जहां तक आतंकवाद की बात है, अधिकारियों को कड़े कदम उठाने चाहिए और पश्चिमी की अतार्किक झिड़की पर ध्यान नहीं देना चाहिए."
बीजिंग अस्थिरता और कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता पर पकड़ ढीली होने के बारे में चौकन्ना रहता है. सरकार शिनचियांग के इन समुदायों को हिंसक अलगाववादी गुट बताती है और पुलिस या सरकारी इमारतों पर हमले का जिम्मेदार मानती है. चीन की सरकार का कहना है कि ये लोग अल कायदा या सेंट्रल एशियन उग्रवादियों से मिले हुए हैं और पूर्व तुर्केस्तान नाम का स्वतंत्र देश बनाना चाहते हैं.
रणनीतिक तौर पर चीन के लिए शिनचियांग अहम है और इसलिए वह यहां अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहता. शिनचियांग न केवल एक बड़ा हिस्सा है बल्कि यहां प्राकृतिक संसाधनों के अपार भंडार हैं. इस प्रांत की सीमाएं अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और मध्य एशिया से जुड़ी हुई हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए जमाल