चीन के दूध घोटाले में 22 गिरफ्तार
३० सितम्बर २००८इसके बाद दुनिया भर के देशों ने चीन में बने दूध उत्पादों पर रोक लगा दी है. कम से कम चार बच्चों की मौत और लगभग पचास हज़ार बच्चों की बीमारी की ज़िम्मेदारी किस पर बनती है. इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए चीन की पुलिस उस जगह को छान रही है, जहां से मिलावटी दूध घोटाला पूरी दुनिया में फैल गया. हेपेई प्रांत में बाईस ऐसे ही लोग पकड़े गए हैं, जिन पर मेलामीन बनाने का संदेह है. इनके पास से दो सौ बीस किलो मेलामीन बरामद किया गया है. समझा जाता है कि पूरा घोटाला हेपेई प्रांत से ही फैला.
मेलामीन केमिकल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने में होता है और विशेषज्ञों का कहना है कि इससे गुर्दे की गंभीर बीमारी हो सकती है. लेकिन चीन में यह प्रोटीन पाउडर नाम से मशहूर है, जो दूध को गाढ़ा और ज़्यादा प्रोटीन वाला दिखाने के लिए इस्तेमाल हो रहा था. दूध उद्योग से जुड़े कई लोगों का कहना है कि जब उनके दूध का नमूना टेस्ट में पास नहीं हो पाता था, तो वह इसमें मेलामीन मिला देते थे.
लगभग बीस दिन पहले जब अचानक बच्चे बीमार पड़ने लगे, तो यह घोटाला सामने आया. न सिर्फ़ चीन, बल्कि आस पास के कई देशों के बच्चे भी मिलावटी दूध पीने से बीमार पड़ने लगे. अस्पतालों में बीमार बच्चों का तांता लगने लगा और बाद में चीन प्रशासन ने बेहद सख़्त क़दम उठाने की बात कही. चीनी राष्ट्रपति वन चियापाओ ने देश के डेयरी उद्योग से अपील की है कि वे गुणवत्ता पर ध्यान दें. वैसे चीन क्वालिटी और जीवनरक्षक दवाइयों को लेकर संवेदशनशील माना जाता है. हाल ही में आरोपों में घिरे खाद्य और दवा विभाग के प्रमुख को इसकी वजह से फांसी की सज़ा दे दी गई थी.
हालांकि मिलावट के शक में चीन में आठ हज़ार दो सौ छप्पन टन दूध को बहा दिया गया है. लेकिन चीनी दूध उद्योग पर साफ़ संकट दिख रहा है. भारत और सत्ताईस देशों के यूरोपीय संघ सहित दुनिया भर के कई देशों ने चीन के बने दूध उत्पादों पर पाबंदी लगा दी है. मशहूर चॉकलेट कंपनी कैडबरी और कॉफ़ी कंपनी स्टारबक्स के बाद अब लिप्टन चाय ने भी चीन में बने अपने दूध उत्पादों को बाज़ार से हटाने का फ़ैसला किया है. ऐसे में चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में गिरता भरोसा वापस पाने का होगा.