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चीन से घबरा रहा है अमेरिका

६ जनवरी २०१२

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की नई रक्षा रणनीति की घोषणा की है. रक्षा बजट में कटौती के अलावा इसमें चीन को अमेरिका की प्रमुख सुरक्षा चिंता बताया गया है.

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बराक ओबामातस्वीर: dapd

आठ महीनों के रिव्यू के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक नई रक्षा रणनीति की घोषणा की है जिसमें हथियारबंद विद्रोह और गरीब देशों को मजबूत करने से ज्यादा अहमियत एशिया और प्रशांत में अमेरिकी सैन्य क्षमताओं को दिया जा रहा है. "अमेरिकी ग्लोबल नेतृत्व - 21 सदी में रक्षा की प्राथमिकताएं" नाम के दस्तावेज में साइबर सुरक्षा पर ज्यादा निवेश और थल सेना ज्यादा नौसेना और वायु सेना पर भरोसा करने की बात कही गई है. आने वाले कुछ सालों में अमेरिका थल सैनिकों में भारी कटौती करेगा.

छोटी सेना

राष्ट्रपति ओबामा ने पेंटागन में कहा, "हां, हमारी सेना छोटी होगी, लेकिन दुनिया को पता होना चाहिए कि अमेरिका अपनी सैन्य प्रभुता को ऐसे सैनिकों के साथ बनाए रखेगा जो चुस्त, स्थिति के अनुरूप ढलने वाले और किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं." पिछले साल अप्रैल में ओबामा ने रक्षा मंत्रालय को नई रणनीति तैयार करने को कहा था, जिसका लक्ष्य अगले 10 साल में रक्षा खर्चों में 450 अरब डॉलर की बचत है. पिछले महीने बजट घाटे में कटौती पर कांग्रेस की सुपर कमेटी में समझौता न होने के बाद अब अगले 10 साल में 600 अरब डॉलर की कटौती करनी पड़ सकती है.

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इराक से वापसीतस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb

इस साल अमेरिका का रक्षा बजट 700 अरब डॉलर है जो दुनिया भर में सेना पर होने वाले खर्च का 40 फीसदी है. इतना ही नहीं अमेरिका के बाद विश्व के सबसे ताकतवर 20 देशों की सेना के संयुक्त बजट से भी ज्यादा है. अगले 10 साल में 450 अरब डॉलर की कटौती के बाद भी राष्ट्रपति ओबामा के अनुसार पेंटागन का बजट 10 सबसे ताकतवर सेनाओं के संयुक्त बजट से ज्यादा होगा. ओबामा ने कहा, "उसमें और वृद्धि भी होगी क्योंकि हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है जो हमसे नेतृत्व की अपेक्षा रखती है."

अधिकांश बजट सेना की संख्या में कटौती करके होगी जिसका सबसे ज्यादा नुकसान थल सेना को होगा. यूं तो कटौतियों के बारे में ठीक ठीक जानकारी इस महीने के अंत तक दी जाएगी, उम्मीद की जा रही है कि थल सेना की संख्या 5,70,000 से घटा कर आने वाले कुछ वर्षों में 4,90,000 कर दी जाएगी. इस समय 2,00,000 जवानों की मरीन टुकड़ी को कम नुकसान होगा क्योंकि उन्हें नौसेना के टास्क फोर्स के साथ जोड़े जाने की संभावना है. ओबामा प्रशासन की नई रणनीति के हिसाब से उसका महत्व और बढ़ेगा.

एशिया का महत्व

पिछले साल के अंत में एशिया दौरे पर ओबामा ने ऑस्ट्रेलिया में एक सैनिक अड्डे पर 2,500 मरीन सैनिक तैनात करने की घोषणा की थी. न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे वियतनाम युद्ध के बाद प्रशांत क्षेत्र में सैनिक उपस्थिति में पहला बड़ा विस्तार बताया था. नई रणनीति में भी अमेरिका के भौगोलिक केंद्र के बदलने पर जोर दिया गया है और कहा गया है कि अमेरिका के आर्थिक और सुरक्षा हित इस क्षेत्र के साथ निकट रूप से जुड़े हुए हैं. दस्तावेज में कहा गया है कि हालांकि अमेरिका दुनिया भर में सुरक्षा में योगदान देता रहेगा, वह एशिया प्रशांत क्षेत्र पर और ज्यादा ध्यान देगा.

महंगी हथियार पद्धतियों को खरीदने में देरी करके या उन्हें रद्द करके भी और बचत की जाएगी. इनका पहला शिकार 2,500 एफ-35 लड़ाकू विमान हो सकते हैं जिनके लिए पेंटागन ने ऑर्डर दे रखा है. लॉकहीड मार्टिन प्रोग्राम का खर्च बढ़ता ही जा रहा है और वह अमेरिकी इतिहास का सबसे महंगा रक्षा प्रोग्राम बन गया है. नई रणनीति में अमेरिकी परमाणु टुकड़ी में भी कटौती की बात है. दस्तावेज में कहा गया है, "यह संभव है कि बचाव के हमारे लक्ष्य छोटी परमाणु टुकड़ी से भी पूरे हो जाएं, जिससे हमारे परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आएगी और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में उनकी भूमिका भी कम होगी."

US-südkoreanisches Seemanöver im Gelben Meer: Nimitz-class USS George Washington NO FLASH
अमेरिका और दक्षिण कोरिया का साझा अभ्यासतस्वीर: AP

दो लड़ाइयां नहीं

नई रणनीति के साथ अमेरिका ने शीत युद्ध के बाद की इस नीति को भी छोड़ दिया है कि वह दुनिया में एक साथ दो लड़ाइयां लड़ सकता है. रिपब्लिकन सांसद और सेना आयोग के प्रमुख बड मैककियोन ने इसकी आलोचना की है और कहा, "अचानक एक साथ दो अभियानों की स्थिति आ सकती है. हमें सिर्फ उत्तर कोरिया की वर्तमान अस्थिरता और ईरान से आ रहे खतरों को देखने की जरूरत है." उधर वाशिंगटन में सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिसी के रक्षा विश्लेषक विलियम हार्टुंग कहते हैं, "खर्च की योजना में पेंटागन के कटौती के प्रस्ताव बहुत कम हैं."

इस बीच पीटीआई ने खबर दी है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने दो महीने के अंदर दूसरी बार कहा है कि अमेरिका चीन और भारत जैसी उभरती सत्ताओं की ओर से चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा, "हमारे सामने एशिया में उभरती ताकतों के साथ पेश आने की चुनौती है. आपको पता है कि हमारे सामने रूस जैसे देशों तथा भारत और अन्य उभरते देशों के साथ पेश आने की चुनौती है."

पैनेटा की यह टिप्पणी आने से एक घंटे पहले पेंटागन ने रक्षा रणनीति रिव्यू जारी किया जिसमें कहा गया है कि अमेरिका भारत के साथ दूरगामी रणनीतिक सहयोग में निवेश कर रहा है. राष्ट्रपति बराक ओबामा के जारी इस रिपोर्ट में चीन को अमेरिका के लिए प्रमुख सुरक्षा खतरा बताया गया है और एशिया को प्राथमिकता दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिका भारत के साथ दूरगामी रणनीतिक साझेदारी में निवेश कर रहा है और क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र और हिंद महासागर में सुरक्षा देने वाले के रूप में उसकी क्षमता के विकास में समर्थन दे रहा है.

रिपोर्ट: आईपीएस, पीटीआई/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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