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चेल्सी बना यूरोपीय फुटबॉल का बादशाह

२० मई २०१२

भले ही फुटबॉल की पूरी दुनिया चैंपियंस लीग का फाइनल देखने को बेताब थी, लेकिन नतीजे को लेकर उन्हें शक नहीं था. पर म्यूनिख के मैदान में जो हुआ, उसने मैच को यादगार बना दिया. तिनका तिनका जोड़ कर चेल्सी ने अपना ताज बना लिया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

फुटबॉल में दो बार बढ़त लेने के बाद मैच गंवा देने का दर्द बहुत ज्यादा होता है. खास कर टीम मजबूत हो और अपने ही ग्राउंड पर खेल रही हो. जब देश का राष्ट्रपति दर्शक दीर्घा में बैठा हो और सामने साफ तौर पर कमजोर नजर आने वाली टीम हो. बायर्न म्यूनिख के हार के इस जख्म को भरने में लंबा वक्त लगेगा.

अपने ग्राउंड पर खेल रही बायर्न म्यूनिख की टीम हर लिहाज से बेहतर थी. उसके पास यूरोप के चुने हुए शानदार स्ट्राइकर आर्यन रोबेन, फ्रांक रिबेरी, थोमास म्युलर और मारियो गोमेज थे, तो पिछली पंक्ति में बास्टियान श्वाइनश्टाइगर और कप्तान फिलिप लाम जैसे बेजोड़ डिफेंडर. और सबसे आला गोलपोस्ट को थामे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर मानुएल नॉयर. दूसरी तरफ नीली जर्सी वाली चेल्सी के पास सिर्फ एक सितारा, डिडियो ड्रोग्बा और ढेर सारा जोश.

जर्मन शहर म्यूनिख का बेमिसाल आलियांज स्टेडियम लाल रंग से नहाया हुआ था. बायर्न के लिए सपना सच होने वाला था. दो साल पहले जो कप हाथ से फिसल चुका था, वह डेढ़ घंटे के बाद मिलने की पूरी उम्मीद थी. जगमग के बीच बायर्न के प्रशंसकों का कोलाहल और दूधिया रोशनी में हरी घास पर लाल नीली जर्सी वाले खिलाड़ियों की भिड़ंत. सीटी बजते ही बायर्न ने गेंद पर कब्जा कर लिया.

Champions League Finale Mai 2012 FC Bayern München gegen FC Chelsea
तस्वीर: dapd

बायर्न के खिलाड़ियों ने चेल्सी के हाफ में धावा बोल दिया था. गेंद डी के आस पास ही नजर आने लगी. दो चार पांच मिनट के अंदर कॉर्नर मिलने लगे और लगने लगा कि गोल अब हुआ कि तब हुआ. शुरू के कुछ मिनटों में ही अजीब सी हेलमेट पहने खिलाड़ी चमक उठा. चेल्सी के गोलकीपर चेक गणराज्य के पीटर चेक के दस्ताने मजबूत दिखने लगे. गेंद और जाल के बीच वह दीवार जैसे नजर आने लगे.

कभी फुटबॉल ग्राउंड में हुए हादसे की वजह से चेक के सिर में जानलेवा चोट लगी थी. उनकी खोपड़ी चटक गई थी. पर हिम्मत के धनी चेक ने साल भर के अंदर ग्राउंड में वापसी की. रग्बी खेलों में जैसे हेलमेट का इस्तेमाल होता है, वैसा ही हेलमेट पहनने लगे. चैंपियंस लीग के फाइनल में अगर सबसे ज्यादा किसी की चर्चा होनी चाहिए, तो वह पीटर चेक ही हैं.

दर्जन भर कॉर्नर के बाद भी मेजबान टीम गोल नहीं कर पाई. इक्कसीवें मिनट में गोल हो जाना चाहिए था, लेकिन रोबेन के शॉट पर चेक ने हाथ लगा दिया. गेंद बाहर चली गई. जर्मनी के बेहतरीन लेकिन बड़े मैचों के नाकाम स्ट्राइकर गोमेज ने 43वें मिनट में जो गलती की, वह इससे भी बड़ी थी. बिलकुल खाली पड़े डी में उन्हें पास मिला. अगर गोलपोस्ट की ऊंचाई 20 मीटर कर दी जाती, तो भी उनका यह शॉट बाहर ही जाता. पहला हाफ खत्म हुआ. बायर्न के खिलाडियों की झुंझलाहट शुरू हुई. चेल्सी ने कोच रोबर्टो डी मैटियो के साथ मैच में वापसी की रणनीति बनानी शुरू कर दी.

Champions League Finale Mai 2012 FC Bayern München gegen FC Chelsea
तस्वीर: Reuters

खेल जब दोबारा शुरू हुआ, तो भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. गाहे बगाहे चेल्सी के ड्रोग्बा और लैम्पार्ड गेंद पर कब्जा करते लेकिन गोलपोस्ट तक आते आते दम तोड़ देते. बायर्न अच्छा खेल कर भी गोल नहीं कर पा रही थी. दर्शकों के सब्र का बांध टूट रहा था. ऐसे में खेल खत्म होने के कोई सात मिनट पहले म्यूलर के हेडर ने गेंद जाल में डाल दी. स्टेडियम खुशी से पागल हो उठा. चैंपियंस लीग के कप की चमक बायर्न खिलाड़ियों के चेहरे पर दिखने लगी. इस आपा धापी में वह भूल गए कि खेल अभी बाकी है. चेल्सी को इसके बाद पहला कॉर्नर मिला और ड्रोग्बा के झन्नाटेदार शॉट ने स्टेडियम में सन्नाटा ला दिया. बराबरी हो चुकी थी.

बड़े खेल अकसर एक्स्ट्रा टाइम में जाते हैं. चेल्सी और बायर्न को भी जाना पड़ा. और इसके बाद पांचवें मिनट के अंदर ड्रोग्बा की गलती से रिबेरी चेल्सी के डी में गिर पड़े और रेफरी की सीटी बज गई. बायर्न को पेनाल्टी मिली. कोच युप हाइनकेस के चेहरे पर संतोष छा गया. सबसे अनुभवी रोबेन को शूट करके जीत पर मुहर लगानी थी. चेक ने मुट्ठियां भींच लीं. रग्बी वाले हेलमेट के नीचे चेहरे की नसें तन गईं. अद्भुत समझ दिखाते हुए वह सीधे गेंद पर गिरे. वज्र जैसे हाथों ने रोबेन का सधा हुआ गोल रोक दिया. स्टेडियम स्तब्ध रह गया. हाइनकेस का चेहरा लाल हो गया. मैच धीरे धीरे पेनाल्टी शूट आउट में जाता दिखने लगा.

Champions League Finale Mai 2012 FC Bayern München gegen FC Chelsea
तस्वीर: Reuters

दो घंटे की मशक्कत के बाद चेक और नॉयर आमने सामने थे. एक तरफ दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर तो दूसरी तरफ बला की हिम्मत दिखा रहे चेक. नॉयर ने लीड ली. पहले शॉट को गोल से बाहर धकेल दिया. टीम को दूसरी बार मैच में बढ़त मिली. आगे के दो गोल होते गए. खुद नॉयर ने भी एक सफल पेनाल्टी ली. चेल्सी ने पेनाल्टी में शुरू के तीन गोल जरूर खाए लेकिन चेक हर बार गेंद का सही अंदाजा लगाते रहे. हर बार शॉट वाली दिशा में छलांग लगाते रहे. यहां तक कि पहला शॉट तो उनके दस्ताने से लगकर निकली. आखिरकार चेक ने चौथे पेनाल्टी को रोक कर स्कोर बराबर कर दिया.

अब बारी श्वाइनश्टाइगर की थी. उन्होंने शॉट लिया. चेक गेंद की तरफ झपटे. गेंद फिर भी निकल गई पर जाल में समाने की जगह खंभे से टकरा गई श्वाइनश्टाइगर ने चेहरा अपनी जर्सी से ढंक लिया. मैच का आखिरी शॉट बाकी था. ड्रोग्बा आगे बढ़े. एक तरफ टीम को पहली बार चैंपियंस लीग खिताब जिताने का दबाव, दूसरी तरफ फरवरी में अफ्रीका कप के दौरान मिस की हुई पेनाल्टी. और सामने नॉयर. आइवरी कोस्ट के खिलाड़ी पर टनों दबाव था. बूट चला और नॉयर गच्चा खा गए. वह दूसरी तरफ छलांग लगा चुके थे. इधर गेंद जाल में जा रही थी, उधर कप पर चेल्सी का नाम लिखने का काम शुरू हो गया. इन कपों में विजेता का नाम मैच के नतीजे के बाद ही गोदा जाता है.

नॉयर और श्वाइनश्टाइगर जैसे खिलाड़ी जमीन में धंसते जा रहे थे. 34 साल के ड्रोग्बा ने विशालकाय कप संभाल लिया और स्टेडियम में दौड़ लगा दी. दोनों हाथों से कप के हैंडल ड्रोग्बा ने ऐसे थाम रखे थे, मानो कोई तेज रफ्तार कार चला रहे थे. इस साल चेल्सी की कामयाबी वाकई तेज रफ्तार है.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः आभा मोंढे