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जंग के लिए तैयार रहे नौसेना: चीनी राष्ट्रपति

७ दिसम्बर २०११

चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने अपनी नौसेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है. प्रशांत महासागर में अमेरिका की बढ़ती गतिविधियों से चीन चिढ़ा हुआ है. एशिया में सामरिक समीकरण बड़ी तेजी से बदल रहे हैं.

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तस्वीर: dapd

ताकतवर केंद्रीय सैन्य आयोग को संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने कहा कि नौसेना को "मजबूत ढंग से कायापलट और आधुनिक बनने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा की रखवाली के लिए उसे युद्ध के लिए भी तैयार रहना चाहिए."

चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से राष्ट्रपति ने कहा, "हमारा काम राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य ताकत को मजबूत करने को केंद्र में रख कर ही होना चाहिए."

वैसे आम तौर पर इस तरह सख्त भाषा का इस्तेमाल चीन की सेना करती है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सेना के बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं. लेकिन इस बार खुद राष्ट्रपति जिस ढंग से नौसेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कह रहे हैं, उससे लग रहा है कि बीजिंग विरोधियों को आंखें दिखाने की कोशिश कर रहा है.

Taiwan U-Boot Sea Tiger
तस्वीर: AP

अमेरिका की प्रतिक्रिया

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने हू के बयान को ज्यादा तरजीह नहीं दी है. पेंटागन का कहना है कि बीजिंग को पारदर्शी ढंग से अपनी सैन्य क्षमता बढा़ने का हक है. पेंटागन के प्रवक्ता जॉर्ज लिटिल ने कहा, "हम चीनी सेना के साथ रिश्ते जारी रखना चाहते हैं लेकिन हमने बार बार चीनी पक्ष से पारदर्शिता की मांग की है."

हालांकि पेंटागन के एक दूसरे प्रवक्ता ने चीनी राष्ट्रपति को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया. एडमिरल जॉन क्रिबी ने कहा, "हमारी नौसेना तैयार है और वह तैयारी में ही रहेगी."

दक्षिण चीन सागर विवाद

बीते कुछ महीनों में प्रशांत महासागर के एक हिस्से दक्षिणी चीन सागर को लेकर तनाव बढ़ रहा है. दक्षिण चीन सागर चीन, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, विएतनाम और सिंगापुर से घिरा हुआ है. दुनिया के एक तिहाई व्यावसायिक जहाज इसका इस्तेमाल करते हैं. दक्षिण चीन सागर के नीचे तेल और गैस का अकूत भंडार है.

सागर के एक बड़े हिस्से को चीन अपना बताता है. अन्य देश चीन के दावे को खारिज करते हैं. चीन धमकी भरे अंदाज में और देशों को दक्षिण चीन सागर से दूर रहने की चेतावनी देता रहता है. फिलहाल वहां भारत विएतनाम के साथ एक तेल परियोजना पर काम कर रहा है. बीजिंग नई दिल्ली को भी वहां से हटने की चेतावनी दे चुका है. चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ बाहरी ताकतों से दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाके से दूर रहने को कह चुके हैं.

करवट लेते सामरिक समीकरण

चीन के इस धमकी भरे अंदाज से पड़ोसी देश नाराज हैं. छोटे देशों को अमेरिका का भी समर्थन मिल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा चीन इस मुद्दे पर नसीहत भी दे चुके हैं. नवंबर में ओबामा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए और वहां उन्होंने कहा, "हम दो प्रशांत देश हैं. इलाके के दौरे के जरिए मैं यह साफ कर रहा हूं कि अमेरिका पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी वचनबद्धता बढ़ाएगा."

Chinese navy sailors and India Navy INS Ranjit guided-missile destroyer and INS Kulish guided-missile corvette, on Chinese and Indian flags, lettering JOINTNAVY EXERCISES, finished graphic
Symbolbild China Indien Militärतस्वीर: APTN

अमेरिका उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में सैन्य अड्डा भी बना रहा है. सैन्य अड्डे में 2,500 मैरीन जवान तैनात रहेंगे. अमेरिकी नौसेना के बेड़े वहां आते जाते रहेंगे. चीन इससे नाराज है. चीन की सेना इसे भड़काने वाला कदम बता रही है. चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता चेतावनी देते हुए कह चुके हैं कि अमेरिकी अधिकारियों का "साझा वायु और समुद्री युद्ध" क्षमता बढ़ाने का विचार "टकराव की रणभेरी बजाने वाला और अपनी सुरक्षा की खातिर दूसरों की सुरक्षा का बलिदान करने वाला है."

चीनी नौसेना फिलहाल अपने पहले विमानवाही पोत को तैयार कर रही है. चीन ने रूस से सोवियत दौर का एक 300 मीटर लंबा विमानवाही पोत खरीदा है. इन दिनों उसे नया बनाया जा रहा है. बीजिंग ने तर्क दिया कि विमानवाही पोत का इस्तेमाल ट्रेनिंग और अनुसंधान के लिए किया जाएगा. लेकिन अगस्त में जहाज का पांच दिन तक परीक्षण किया गया. तब दुनिया को पता चला कि चीन विमानवाही पोत तैयार कर रहा है. जापान और अमेरिका समेत इलाके के कई देशों ने यह सवाल उठाया कि आखिर चीन को विमानवाही पोत की जरूरत क्यों हैं. बीजिंग ने इसका जवाब नहीं दिया.

चीन का दबंग व्यवहार

दरअसल बीते एक साल में चीन के रवैये में काफी बदलाव आया है. चीन अब खुलकर पड़ोसी देशों को धमकाने लगा है. चीन के इस रुख से परेशान देश अमेरिका की तरफ देख रहे हैं. वॉशिंगटन और चीन के पड़ोसियों की नजदीकियां बढ़ रही है. बीजिंग को लग रहा है कि अमेरिका खुद को प्रशांत महासागर की ताकत साबित करने का अभियान चला रहा है और पडो़सियों के साथ मिलकर उसे घेरने की कोशिश कर रहा है.

वैसे बीते एक दशक में भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती बड़ी गहरी हुई. द्वितीय विश्वयुद्घ के बाद जंग के नाम से कतराने वाला जापान भी वायुसेना के आधुनिकीकरण की बात कर रहा है. अब पहली बार अमेरिका, जापान और भारत के अधिकारियों की बैठक भी होने जा रही है. इसी महीने वॉशिंगटन में होने वाली इस बैठक को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. 19 दिसंबर को होने वाली इस बैठक में सहायक सचिव स्तर के अधिकारी हिस्सा लेंगे.

रिपोर्टः एएफपी, एपी/ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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