जनमत संग्रह कराने पर ग्रीक सरकार में मतभेद
३ नवम्बर २०११गुरुवार को एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया, "इन परिस्थितियों में देश को जनमत संग्रह की कोई जरूरत नहीं है. उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती अगर ऋण की किस्त और राहत पैकेज पूरा होने से जुड़ी हमारी लटकी पड़ी समस्याएं हल हो जातीं." वित्त मंत्री वेनिसेलोस ने पहले जनमत संग्रह कराने के प्रस्ताव का समर्थन किया. वित्त मंत्री वेनिसेलोस और प्रधानमंत्री पापांद्रेऊ के बीच ऐसे समय में मतभेद उभरे हैं जब एक दिन बाद ही ग्रीक सरकार को संसद में विश्वासमत का सामना करना है.
वेनिसेलोस उप प्रधानमंत्री भी हैं. उन्होंने संभवतः 4 दिसंबर को इस मुद्दे पर होने वाले जनमत संग्रह से खुद को अलग कर लिया है कि क्या ग्रीस को यूरोजोन में रहना चाहता है या नहीं. प्रधानमंत्री पापांद्रेऊ ने सोमवार को जनमत संग्रह की घोषणा कर सबको हैरत में डाल दिया. खास कर यूरोपीय संघ वे नेता बहुत हैरान हैं जिन्होंने पिछले हफ्ते ब्रसेल्स में कड़ी मशक्कत के बाद ग्रीस के लिए दूसरे राहत पैकेज पर सहमति तैयार की.
"यूरो जोन में आना एक उपलब्धि"
ग्रीस दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहा है. यूरो जोन से राहत ऋण हासिल करने के लिए उसे अपने विशाल कर्ज को कम करना होगा और बचत की कड़ी योजना लागू करनी होगी. इसके नतीजे में ग्रीक लोगों को वेतन, पेंशन और सरकारी सुविधाओं में कटौती झेलनी पड़ रही है जिसके खिलाफ वे सड़कों पर उतर कर उग्र विरोध जता रहे हैं. इसीलिए यूरोपीय नेताओं को जनमत संग्रह में ग्रीस के लिए तैयार योजना को ठुकराए जाने का डर सता रहा है.
ग्रीक वित्त मंत्री ने एक लिखित बयान में कहा, "यूरो जोन में ग्रीस का स्थान एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसे पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. ग्रीक लोगों के लिए स्थापित अधिकार को परीक्षण या जनमत संग्रह की कसौटी पर नहीं रखा जा सकता. इस देश के लिए सुरक्षित और स्थिर महसूस करना जरूरी है. यूरोपीय बैंकिंग सिस्टम के अभिन्न अंग के तौर पर ग्रीक बैंक पूरी तरह सुरक्षित हैं. कान में हुई कल रात हुई बैठक से बात बिल्कुल साफ है."
हाल ही में फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने साझा मुद्रा वाले यूरो जोन में ग्रीस के प्रवेश को गलती बताया. उनके मुताबिक गलत आर्थिक आंकड़े पेश कर ग्रीस ने यूरो जोन में आया. यूरोप के 17 देशों में यूरो मुद्रा चलती और इस पूरे क्षेत्र को यूरो जोन कहते हैं.
दिवालिया होने का खतरा
फ्रांस से शहर कान में गुरुवार से जी20 देशों का शिखर सम्मेलन हो रहा है जहां मुख्य तौर पर यूरोजोन के कर्ज संकट पर चर्चा होगी. ग्रीस के अलावा आयरलैंड, पुर्तगाल और इटली की आर्थिक हालत भी पतली दिख रही है.
पापांद्रेऊ को आपात बैठक के लिए बुधवार को ही कान में बुला लिया गया जहां फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि ग्रीक जनमत संग्रह में फैसला होना चाहिए कि क्या ग्रीस यूरो जोन में रहना चाहता है या नहीं और ग्रीस को राहत पैकेज की रकम जनमत संग्रह के बाद ही मिलेगी.
जनमत संग्रह के लिए 4 दिसंबर की शुरुआती तारीख तय की गई है, लेकिन ग्रीस का कहना है कि अगर उसे मौजूदा राहत पैकेज की अगली किस्त नहीं मिली तो वह नवंबर मे ही दिवालिया हो सकता है. विकास मंत्री मिशालिस क्रिसोहोइदिस ने एक बयान जारी कर एकता की अपील की है और कहा है कि इस वक्त प्राथमकिता नई कर्ज डील को संसद से पास कराना है. उनके मुताबिक, "हम वापस पुरानी मुद्रा द्राकमा और अतीत में नहीं जा सके. हम सब को अपनी जिम्मेदारियां निभानी होंगी."
रिपोर्ट: एपी, रॉयटर्स, डीपीए/ए कुमार
संपादन: आभा एम