जन्मदिन पर गोर्बाचेव ने रूस के नेताओं की आलोचना की
२ मार्च २०११गोर्बाचेव ने खास तौर पर प्रधानमंत्री व्लादीमीर पुतिन और राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव का नाम लेते हुए कहा कि इनके शासन में "लोगों की आजादी और उनके अधिकारों पर हमला हुआ है." हालांकि उनके जन्मदिन पर मेद्वेदेव ने रूस के सबसे बड़े सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्र्यू मेडल से उन्हें सम्मानित किया. इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक अपने समर्थकों के बीच गोर्बी के नाम से जाने जाने वाले गोर्बाचेव अपने जन्मदिन पर मेहमानों का स्वागत कर रहे थे जब उन्होंने मेद्वेदेव और पुतिन पर निशाना साधा.
लेकिन अब भी रूस में गोर्बाचेव के सुधारों को लेकर विवाद जारी है. पेरेस्त्रोइका(समाज का पुनर्गठन) और ग्लासनोस्ट(पारदर्शिता) के विचारों के जरिए गोर्बाचेव ने साम्यवाद के ढ़ांचे में बदलाव लाने की कोशिश की थी. साम्यवादी पार्टी के नेता गेनादी सिगानोव का कहना है कि गोर्बाचेव एक 'देशद्रोही' हैं जिन्होंने सोवियत संघ का विनाश किया है और जिनकी गलतियों से सोवियत संघ का अस्तित्व खत्म हो गया. वहीं राजनीतिक विश्लेषक व्याचेस्लाव निकोनोव का कहना है कि गोर्बाचेव ने 'आजादी के दरवाजे खोल दिए.' हालांकि निकोनोव कहते हैं कि गोर्बाचेव की सबसे बड़ी गलती इसमें थी कि वे साम्यवाद में नियोजित अर्थव्यवस्था से बाहर नहीं निकलना चाहते थे. चीन ने ऐसा किया है और सोवियत संघ भी इसी राह पर चल सकता था.
सोवियत रूस के पतन के जरिये के रूप में पश्चिमी देश गोर्बाचेव का सम्मान करते हैं. 80 साल की उम्र में गोर्बाचेव अब भी देश में जनता के लिए बेहतर हालात की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने रूस को लोकतंत्र की 'नकल' कहा है, जहां संसद और अदालत सरकारी हस्तक्षेप से आजाद नहीं हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः एस गौड़