जर्मन जादू से अपनी ही धुनों में खो गए रहमान
२३ जनवरी २०१२संगीत की महफिल में एआर रहमान की मौजूदगी हो तो वैसे भी कुछ कहने सुनने की जरूरत नहीं पड़ती पर इस बार तो उन्होंने बिना कुछ किए ही लोगों को पागल कर दिया. जर्मन फिल्म ऑर्केस्ट्रा बाबेल्सबर्ग इन दिनों भारत के दौरे पर है और वो एआर रहमान के बनाए गीतों को भारत के लोगों को सुना रहे हैं, है न अजीब बात, पर रहमान के लिए नहीं. रहमान कहते हैं, "जब भी मैं इन्हें इन गानों को बजाते देखता हूं मैं कहीं और पहुंच जाता हूं. मैं भूल जाता हूं कि यह मेरा संगीत है. कई लोग नहीं जानते कि मैं सगीत कैसे बनाता हूं. मैं खुद को स्टूडियो में बंद लेता हूं और घंटों अकेले बैठा रहता हूं."
जर्मन ऑर्केस्ट्रा के प्रति आभार जताते हुए रहमान ने कहा, "वास्तव में मैं बहुत उत्साहित और शुक्रगुजार हूं जर्मन फिल्म ऑर्केस्ट्रा बाबेल्सबर्ग का कि वो हमारे छात्रों और केएम म्यूजिक कंजरवेटरी के बच्चों के साथ भारत का दौरा कर रहे हैं. मैं निश्चिंत हूं कि भारत की संगीत प्रेमी जनता के लिए यह एक बिल्कुल नया अनुभव है."
दो ऑस्कर विजेता एआर रहमान ने हिंदी फिल्मों के साथ अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत को भी अपने संगीत का मुरीद बनाया है. बॉम्बे, रोजा, स्वदेश के अलावा ताल, जोधा अकबर, लगान, रंग दे बसंती, और हाल ही में आई रॉकस्टार जैसी फिल्मों में दिए उनके संगीत का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है. हॉलीवुड निर्देशक डैनी बॉयल की स्लमडॉग मिलियनेयर के अलावा 127 आवर्स में भी रहमान ने संगीत दिया है.
भारत और जर्मनी के बीच कूटनीतिक संबंधों के साठ साल पूरे होने पर भारत में जर्मनी का साल मनाया जा रहा है. इस दौरान दोनों देशों के बीच एक दूसरे की कला और संस्कृति को समझने और समझाने की भी खूब कोशिशें हो रही हैं. जर्मन फिल्म ऑर्केस्ट्रा बाबेल्सबर्ग के निदेशक क्लाउस पीटर बायर कहते हैं, "रहमान केवल फिल्मों के लिए नहीं बल्कि वो पूरे देश के लिए संगीत बनाते हैं और इससे पता चल जाता है कि इस देश में सबसे खूबसूरत और सबसे कीमती चीज इस देश के लोग हैं."
बाबेल्सबर्ग के बारे में रहमान ने कहा, "संगीतकार के रूप में मुझे दुनिया के कई देशों और सभी महादेशों में जाने का मौका मिलता है. हम जो संगीत बनाते हैं वह हमारे जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है. जर्मन फिल्म ऑर्केस्ट्रा का भारत में आकर एआर रहमान का संगीत बजा रहा है इस विचार से मैं सम्मोहित हूं."
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह