जर्मन रेल ने तय किया पहला यूरोटनल सफर
१४ अक्टूबर २०१०300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन की परीक्षण यात्रा में जर्मन रेल और टनल का संचालन करने वाली संस्था यूरोटनल के टेक्निशियन ट्रेन पर सवार थे. उन्होंने यात्रा के दौरान अलग अलग परीक्षण किए. ट्रेन नियमों के अनुसार 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक किलोमीटर गई और उसके बाद दूसरी पटरी पर लौट आई. ट्रेन पर कोई यात्री सवार नहीं था. शनिवार को 300 सवारियों के साथ बचाव अभियान का निरीक्षण करने की योजना है. इसके साथ दिखाया जाएगा कि आईसीई यूरो टन के लिए लागू सुरक्षा शर्तों को पूरा करती है.
जर्मन रेल 2013 से जर्मनी और लंदन के बीच सीधा रेल संपर्क स्थापित करना चाहता है. अब तक वह सुरक्षा शर्तों के कारण आईसीई को यूरो टनल से नहीं ले जा पाया है. यूरो टनल के सुरक्षा नियमों के अनुसार गाड़ी में अंदर ही अंदर आगे से पीछे जाने की सुविधा होनी चाहिए ताकि इमरजेंसी में यात्री टनल से बाहर निकल सकें. आधुनिक आईसीई 3 रेलगाड़ियां दो हिस्सों में हैं जो एक दूसरे के साथ जुड़ी नहीं हैं.
जर्मन रेल लंबे समय से यूरो टनल का इस्तेमाल कर जर्मनी और इंग्लैंड के बीच सीधी सुपरफास्ट सेवा देना चाहता है. 1994 में यूरो टनल के खुलने के बाद से वहां सिर्फ यूरोस्टार ट्रेनें चलती हैं जो फ्रांसीसी रेल कंपनी एसएनलीएफ का उपक्रम है. यह कंपनी फ्रांसीसी कंपनी आलस्ट्रोम द्वारा निर्मित सुपरफास्ट ट्रेनों का इस्तेमाल करती है.
यूरोटनल ने हाल ही में टनल के सुरक्षा नियमों में ढील देने की घोषणा की है ताकि दूसरी रेल कंपनियां भी टनल का उपयोग कर सकें. कंपनी के प्रमुख टनल की क्षमता के उपयोग को बढ़ाना चाहते हैं. इस समय उसका सिर्फ 50 फीसदी इस्तेमाल हो रहा है.
यूरो टनल का उपयोग जर्मन रेल के लिए फायदे का सौदा हो सकता है. फ्रैंकफर्ट और लंदन के बीच सीधी रेल सेवा यूरोप के दो महत्वपूर्ण वित्तीय शहरों को एक दूसरे से जोड़ेगी. रेल प्रमुख रुइडिगर ग्रूबे को हर साल 10 लाख से अधिक यात्रियों को आकर्षित करने का भरोसा है.
जर्मन रेल के अधिकारियों के अनुसार बुधवार को परीक्षण यात्रा पर आईसीई ने अपने इंजन का उपयोग किया लेकिन शनिवार को बचाव अभियान के परीक्षण के लिए ट्रेन को कानूनी जरूरतों के कारण अतिरिक्त इंजिन द्वारा ले जाया जाएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार