जर्मन सरकार पर परमाणु संयंत्र बंद करने का दबाव
१३ मार्च २०११जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना ने पूरी दुनिया को चौका दिया है. चीन ने अपने परमाणु संयंत्रों की जांच शुरू कर दी है तो जर्मनी में भी चांसलर अंगेला मैर्केल ने संयंत्रों की जांच के आदेश दे दिए हैं. शनिवार को जर्मनी के श्टुटगार्ट शहर में लोगों ने पामाणु ऊर्जा घर बंद किए जाने की मांग को ले कर प्रदर्शन किए और मानव चेन बनाई.
हादसे से सीख
मैर्केल ने लोगों को शांत करने के लिए कहा कि जापान में जो हुआ है उस से सरकार सीख जरूर लेगी, लेकिन साथ में यह भी कह दिया कि देश में जापान जैसी स्थिति अकल्पनीय है, क्योंकि ना ही यहां भूकंप का खतरा है और ना ही सुनामी का. मैर्केल ने यह बात साफ कर दी है कि हालांकि देशवासियों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन आज के दौर में परमाणु ऊर्जा को पूरी तरह छोड़ देना मुमकिन नहीं है.
बंद करो परमाणु रिएक्टर
जर्मनी की लेफ्ट पार्टी ने मांग की है कि देश में चल रहे परमाणु रिएक्टरों को फौरन हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए. ऊर्जा मंत्री डोरोथी मेंत्स्नर ने कहा कि ऐसी तकनीक का खतरा इतना ज्यादा है जिसे काबू में नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया इस वक्त जापान को देख कर चिंता और सहानुभूति जाता रही है, लेकिन सिर्फ इतना ही करना काफी नहीं है. हमारी सरकार से यह मांग है कि जल्द से जल्द कोई कदम उठाया जाए."
पर्यावरण और प्रकृति के सुरक्षा संगठन बुंड ने कहा, "अगर ऐसे हादसे के बाद भी, जैसा अभी जापान में हुआ है, लोग उस से कोई सीख नहीं लेते हैं, और जैसा चलता आ रहा है, वैसे ही आगे काम करते रहना चाहते हैं, बगैर इस बात पर ध्यान देते हुए कि यह कितना खतरनाक है, तो ऐसे लोग गैर जिम्मेदार हैं और स्वार्थी हैं."
जर्मनी में 17 परमाणु रिएक्टर हैं, जिनके जांच के आदेश चांसलर ने दिए हैं. विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है कि रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम पर सब से खास ध्यान दिया जाएगा. फुकुशीमा में हुए धमाके ने यह बात याद दिला दी है कि दुनिया के सबसे सुरक्षित रिएक्टर में भी गड़बड़ी हो सकती है. इसी को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय में रिएक्टर की सुरक्षा के निदेशक वोल्फगांग रेनेबेर्ग ने कहा है कि चांसलर लोगों को झूठे दिलासे ना दें.
परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु रिएक्टरों को अमूमन 30 साल तक चलाया जा सकता है. फुकुशीमा का रिएक्टर 40 साल पुराना था और उसे इसी महीने बंद किया जाना था. जर्मनी में सबसे पुराने रिएक्टर 50 साल से चल रहे हैं और ये फुकुशीमा के रिएक्टर की ही तरह ये भी कूलेंट वॉटर सिस्टम पर चलने वाले रिएक्टर हैं. इनकी मरम्मत पर खर्च 50 करोड़ यूरो से अधिक का आ सकता है. विपक्षी दल इन बातों को समझते हैं और इसी लिए यह मांग कर रहे हैं कि इन परमाणु संयंत्रों के काम करने की अवधि आगे ना बढ़ाई जाए. चांसलर मैर्केल को संसद के अगले सत्र में इनका सामना करना पड़ेगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: एन रंजन