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जलपाइगुड़ी में हाथियों के परिवार की मौत

२३ सितम्बर २०१०

पश्चिम बंगाल के रेलवे ट्रैक पर सात हाथियों की मौत. हाथियों के झुंड के दो बच्चे रेल की पटरियों में फंस गए, उन्हें बचाने की कोशिश पूरी दल ने की. लेकिन उसी दौरान तेज रफ्तार मालगाड़ी आ गई और सात हाथी मारे गए.

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तस्वीर: dpa - Bildfunk

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हाथियों का एक दल अपने बच्चों समेत जंगल के दूसरे इलाके में जा रहा था. तभी दो रेल की पटरियों को आपस में जोड़ने वाले साफ्ट में दो नन्हे हाथियों का पैर फंस गया. बच्चों को बचाने के लिए झुंड के सभी हाथी रेलवे ट्रैक पर आ गए. इसी दौरान एक तेज रफ्तार मालगाड़ी आ गई.

पांच हाथियों की मौके पर ही मौत हो गई. इनमें ट्रैक पर फंसने वाले दो नन्हें हाथी भी हैं. दो वयस्क हाथियों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक एक हाथी का इलाज किया जा रहा है. वन विभाग का कहना है कि हादसे वाली यह जगह हाथियों के लिए सुरक्षित साबित नहीं हो रही है. इसी जगह पर जून में भी एक हाथी की मौत हुई थी.

भारत में अक्सर रेलवे ट्रैक पर वन्य जीवों की मौत होती रहती है. 1987 से अब तक रेलवे ट्रैकों पर 118 हाथी मारे जा चुके हैं. यही वजह कि वन्य जीव संरक्षण के लिए रिजर्व किए गए जंगलों के बीच से ट्रेनों 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाता है. भारत में हाथियों की तादाद करीब 26,000 है.

रिपोर्ट:डीपीए/ओ सिंह

संपादन: आभा एम