जापानः परमाणु संयंत्र में विकिरण हजार गुना
१२ मार्च २०११टोकियो इलेक्ट्रिक पॉवर ने शनिवार को कहा कि वह फुकुशिमा में दूसरे संयंत्र में दबाव को काबू नहीं कर पा रहा है. प्रवक्ता ने बताया कि संयंत्र में तो दबाव स्थिर है लेकिन जहां एटॉमिक रिएक्शन होती है वहां दबाव बढ़ रहा है. लेकिन प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी नहीं दी है कि दबाव कम करने के लिए विकिरणों को हवा में छोड़ा जाएगा या नहीं.
जापान के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में से एक भूकंप के बाद ठंडा नहीं हो पाया था. इस कारण जापान की सरकार ने आपात स्थिति की घोषणा की थी और आसपास रहने वाले लोगों को वहां से जाने के निर्देश दिए थे.
जापान ने चेतावनी दी कि कूलिंग सिस्टम नहीं चलने के कारण परमाणु संयंत्र में रिसाव हो सकता है. हालांकि शनिवार की सुबह हालात साफ नहीं हो सके हैं कि कितना खतरा है.
मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो एडानो ने बताया, "आशंका है कि संयंत्र के उस हिस्से में रिसाव हो सकता है और संभव है कि यह हवा में मिल जाए. तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को हटा दिया गया है. परमाणु संयंत्र के दस किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को घर में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं." टोकियो की इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी ने कहा कि रिएक्टर में दबाव लगातार बढ़ रहा है. कूलिंग समस्या के विफल हो जाने के कारण 1979 में हुए थ्री माइल आयलैंड की दुर्घटना जैसी स्थिति की आशंका भी है लेकिन जापान की सरकार के मुताबिक हालात इतने गंभीर नहीं हैं.
जापान के ऊर्जा अर्थशास्त्र संस्थान में न्यूक्लियर एनर्जी ग्रुप के प्रमुख तोमोको मुराकामी के मुताबिक, फिलहाल स्थिति थ्री माइल आयलैंड की दुर्घटना वाली स्थिति से काफी पीछे है. जापान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए को बताया कि भूकंप और सुनामी के कारण परमाणु संयंत्र की बिजली फेल हो गई.
परमाणु संयंत्रों की मोटर, वॉल्व और उपकरण चलाने के लिए सामान्य तौर पर ऑल्टरनेटिंग करंट की जरूरत होती है. इस प्रणाली के जरिए कूलिंग के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाता है. अगर एसी पॉवर बंद हो जाती है तो प्लांट पूरी तरह से ठंडा नहीं हो सकता. और इसे ठंडा करने के लिए बहुत उपाय नहीं हैं.
जापान की तीस फीसदी बिजली परमाणु ऊर्जा संयंत्र से बनती है और कई संयंत्र भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में हैं. जैसे कि फुकुशिमा और फुकुई. आईएईए के मुताबिक दुनिया भर के 20 फीसदी परमाणु ऊर्जा संयंत्र भूकंप की आशंका वाले हिस्सों में हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़