जापान: परमाणु रिसाव से बच्चों को ज्यादा खतरा
१५ मार्च २०११रेडियोएक्टिव पदार्थ हवा में मौजूद नमी के साथ जुड़ जाते हैं. यदि ऐसी हवा में सांस लिया जाए तो वो फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. बरसात के पानी के साथ यह रेडियोएक्टिव पदार्थ समुद्र के पानी में और जमीन में मिल जाते हैं. ऐसी जमीन पर जब फसल उगती है तो उसमें ये रेडियोएक्टिव पदार्थ मौजूद होते हैं. साथ ही पीने के पानी और मछलियों में भी यह मिल जाते हैं. इस तरह से यह फूड चेन या खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बन जाते हैं.
हांग कांग के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसिस के प्रोफेसर ली तिनलाप का कहना है कि जापान के आसपास मौजूद पानी में रेडियोएक्टिविटी के स्तर को नापना जरूरी है. तिनलाप बताते हैं, "कोई भी समुद्र में रेडिएशन के स्तर को नहीं नाप रहा है. रिएक्टर से उठी भाप हवा में मिल चुकी है और वो पानी में जरूर मिल जाएगी और जीवन पर असर डालेगी. एक बार अगर बारिश हो जाए तो पीने के पानी में भी इसके मिलने को नहीं रोका जा सकता."
गाय के दूध से खतरा
फल, सब्जियों और मछलियों के अलावा खतरा गाय के दूध से भी होगा. गाय जिन खेतों में घास चरती है अगर उन खेतों तक ये पदार्थ पहुंच जाएं तो चारे के साथ साथ ये गाय के शरीर में भी पहुंच जाते हैं और फिर दूध में. इस से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है क्योंकि रेडियोएक्टिव पदार्थ शरीर में घुस कर डीएनए को बदल देते हैं. आम तौर पर शरीर डीएनए में हो रहे बदलाव से लड़ने की क्षमता रखता है, लेकिन बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता कि वो ऐसा कर सके.
डीएनए में बदलाव से कई तरह के कैंसर हो सकते हैं - इनमें खून, फेफड़ों, हड्डियों और थाइराइड कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है. विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर इनका असर सबसे ज्यादा पड़ता है. द्वितीय विश्वयुद्ध में हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले के बाद लोगों का इलाज करने वाले एक वैज्ञानिक ने बताया, "गाय वैक्यूम क्लीनर की तरह होती है. खेतों में जितना रेडियोएक्टिव पदार्थ होता है वो चारे के साथ, सारा अपने अंदर ले लेती है और फिर यह दूध में मिल जाता है. चेर्नोबिल में भी यही हुआ था. वहां दुर्भाग्यवश बात यह थी कि इन खतरों के बारे में मां बाप को कुछ बताया ही नहीं गया था." अगर उस समय इन सब खतरों के बारे में लोगों के पास पूरी जानकारी होती तो वो अपने बच्चों को दूध पिलाना बंद कर देते.
इन्हीं खतरों को ध्यान में रखते हुए हांग कांग और थाईलैंड समेत कई देशों ने जापान से आने वाली खाद्य सामग्री की जांच करने का निर्णय लिया है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि जापान अपने लोगों को बचाने के लिए सही कदम उठा रहा है. लोगों में रेडिएशन न फैले इसके लिए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के पास 20 किलोमीटर के दायरे से लोगों को निकाल लिया गया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: एस गौड़